आदिवासी विरोधी है हेमंत सरकार: सुजान मुंडा

सिमडेगाः कोलेबिरा विधानसभा से भाजपा के पूर्व प्रत्याशी सह सांसद प्रतिनिधि सुजान मुंडा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि हेमंत सरकार आदिवासी विरोधी है। हेमंत सरकार जिले के ओबीसी समुदाय के बाद अब आदिवासी युवाओं को नजरअंदाज करने का काम किया है।

हेमंत सरकार एक ओर राज्य के थर्ड एवं फोर्थ ग्रेड में आदिवासी मूलवासी को नौकरी देने की बड़ी बड़ी बातें करती है। पर हकीकत तो यह है कि यह सरकार भोले भाले आदिवासियों को झूठा आश्वासन देने का काम कर रही है। सुजान मुंडा ने कहा कि वर्तमान में झारखंड संयुक्त सचिवालय द्वारा आरक्षी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए निकाले गए विज्ञापन निकाला गया।

अनुसूचित जनजाति समुदाय के पुरुष युवाओं के लिए एक भी पद आरक्षित नहीं

इस विज्ञापन में आप गौर करें तो इसमे सिमडेगा जिले के लिए कुल 103 पदों पर बहाली की जाएगी। पर दुःखद बात यह है कि इन 103 पदों में से सिमडेगा जिले के अनुसूचित जनजाति समुदाय के पुरुष युवाओं के लिए एक भी पद आरक्षित नहीं है। जबकि अनुसूचित जनजाति समुदाय के अनारक्षित कोटे के लिए 25 पद रिक्त है।

इतना ही नहीं जिले में अनुसूचित जाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग, आदिम जाति व खेलकूद कोटा के लिए भी एक भी पद नहीं है। इसी तरह महिला वर्ष अनारक्षित के लिए 52 पद के लिए विज्ञापन निकाला गया है। जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए मात्र 18 पद रिक्त है। जबकि यहां भी खेलकूद कोटा के लिए एक भी पद रिक्त नहीं है।

हेमंत सरकार के कथनी एवं करनी में सवालिया निशान

सुजान ने कहा कि हेमन्त सरकार राज्य के होनहार खिलाड़ियों को नौकरी देने की बात कहती है। जेएसएससी के इस विज्ञापन में खेलकूद कोटे के लिए भी रिक्त पदों की संख्या शून्य रखा है, जो हेमन्त सोरेन की सरकार के कथनी एवं करनी में सवालिया निशान लगाता है। सुजान ने कहा कि सिपाही बहाली के लिए निकाले गए विज्ञापन को संसोधित कर आदिवासी पुरुषों के लिए भी सीटें आरक्षित किया जाय।

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साथ अनुसूचित जनजाति महिलाओं के लिये भी सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की जाये। अगर उक्त विज्ञापन में सरकार द्वारा संसोधन नहीं किया जाता है तो जिले में आदिवासियों युवाओं के साथ उग्र आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार झूठे वायदे कर राज्य की सत्ता पर काबिज है।

राज्य में महिला पर अत्याचार व हर समुदाय के युवाओं के साथ धोखा हो रहा है। विधि-व्यवस्था चौपट हो गयी है और सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करने में लगी है। हेमंत सरकार की चार वर्षों की नाकामियां व वादा खिलाफी ने प्रदेश की जनता, युवा, महिला, किसान, दलित व आदिवासी सभी वर्गों को आंदोलन के लिए मजबूर किया है।

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