Wednesday, July 2, 2025

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आरा लोकसभा में क्या जीत की हैट्रिक लगा पाएगी भाजपा ?

आरा लोकसभा भोजपुर जिले के अंतर्गत आती है. 2008 में नये परिसीमन के बाद से आरा संसदीय क्षेत्र भोजपुर जिले के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों को समेटे हुए है.

वर्तमान में आरा संसदीय सीट भाजपा की झोली में हैं और आरके सिंह यहां से सांसद हैं. और 2024 के चुनाव में भी भाजपा ने आरके सिंह को ही टिकट दिया है.

लेकिन आरा में भाजपा का कमल कई वर्षों की तपस्या के बाद खिला है. भाजपा 2014 में आरा लोकसभा में पहली बार कमल खिलाने में सफल हुई थी. जिसके बाद दूसरी बार भी 2019 में आरा भाजपा के हाथ में गई. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा आरा में जीत की हैट्रिक लगा पाएगी या नहीं.

अब आरा में आरके सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में सीपीआईएमएल अपने उम्मीदवार उतारेगी लेकिन उम्मीदवार का चेहरा अब तक सामने नहीं आया है.

बीते 2019 के चुनाव में भी आरा से आरके सिंह के खिलाफ महागठबंधन की ओर से सीपीआईएमएल के राजू यादव मैदान में थे.लेकिन 1 लाख 47 हजार 285 से आरके सिंह ने उन्हें शिकस्त दे दी थी.

आरा लोकसभा संसदीय क्षेत्र

वर्तमान में आरा लोकसभा के वर्तमान राजनीतिक स्थिति की बात करें तो आरा लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती है जिसमें संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआंव, तरारी, जगदीशपुर, शाहपुर की सीटें शामिल है. इनमें से 3 तीन सीटों पर राजद का दबदबा है. 2 पर भाजपा, और 2 सीटें सीपीआईएमएल के पास है. इन 7 विधानसभा सीटों में संदेश में राजद से किरण देवी यादव विधायक है. वहीं बड़हरा में भाजपा से राघवेंद्र प्रताप सिंह, आरा में भी भाजपा से अमरेंद्र प्रताप सिंह विधायक हैं. अगिआंव से सीपीआईएमएल के मनोज मंजिल और तरारी में भी सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद विधायक हैं. जगदीशपुर से राजद के राम विष्णु सिंह और शाहपुर से राजद के राहुल तिवारी विधायक है.

आरा लोकसभा में क्या जीत की हैट्रिक लगा पाएगी भाजपा ?

आरा की धरती का देश के इतिहास में बेहद अहम भूमिका है. देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के अमर योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह की ऐतिहासिक धरती राजनीतिक रूप से काफी उर्वर रही है.

देश के पहले दलित डिप्टी पीएम जगजीवन बाबू व पहली महिला लोकसभा स्पीकर के रूप में उनकी बिटिया मीरा कुमार और लोकसभा में पहले प्रतिपक्ष के नेता रामसुभग सिंह इसी माटी की उपज रहे हैं तो यहां के पहले सांसद बलिराम भगत लोकसभा के स्पीकर भी बने.

आरा लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण हमेशा से हावी रहा है. विभिन्न जातियों में रस्साकशी देखने को मिलती रही है. पहले आमचुनाव से लेकर 2004 के चुनाव तक केवल एक बार छोड़ दें तो यहां यदुवंशी और कुशवंशी का कब्जा रहा है. सिर्फ 1989 के बहुकोणीय मुकाबले में यहां अतिपिछड़ा वर्ग से आईपीएफ उम्मीदवार रामनरेश प्रसाद की जीत हुई थी. नये परिसीमन के बाद हुए पिछले दोनों चुनावों में यहां रघुवंशी समाज के प्रतिनिधि की जीत हुई है. हालांकि पहले भी जीत-हार में अन्य जातियां भूमिका निभाती रही थीं.

आरा लोकसभी सीट की इतिहास पर एक नजर डालें तो ,आरा लोकसभा सीट में 1977 में चुनाव शुरु हुए और पहले चुनाव में भारतीय लोकदल से चंद्रदेव प्रसाद वर्मा जीते.

1980 में चुनाव में चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने अपनी जीत दुहराई लेकिन इस बार उन्होंने जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा था.

1984 में आरा सीट पर कांग्रेस ने परचम लहराया और बलिराम भगत यहां से जीते.

जिसके बाद 1989 में इंडियन पीपुल्स फ्रंट ने इस सीट पर जीत हासिल की और रामेश्वर प्रसाद सांसद बने.

1991 के चुनाव में रामलखन सिंह यादव ने जनता दल के टिकट से जीत हासिल की.

जिसके बाद 1996 में एक बार फिर से जनता दल ने जीत हालिस की लेकिन इस बार चंद्रदेव प्रसाद वर्मा यहां से जीते.

1998 में आरा सीट समता पार्टी के झोली में गई और हरिद्वार प्रसाद सिंह दिल्ली पहुंचे.

1999 में यहां राजद ने अपनी पहली जीत दर्ज की और राम प्रसाद सिंह सांसद बने.

2004 के लोकसभा चुनाव में राजद ने अपनी जीत दुहराई और कांति सिंह सांसद बने.

2009 में आरा सीट पर जनता दल से मीना सिंह ने जीत हासिल की.

आरा लोकसभा सीट में 2014 में भाजपा पहली बार कमल खिलाने में सफल हुई और 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने आरा सीट पर जीत दर्ज की और आरके सिंह सांसद बने.

आरके सिंह वर्तमान में आरा सांसद के साथ साथ केंद्र में भी कैबिनेट के मंत्री है और भाजपा ने उन्हें एक बार और लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया है.

अब आरा में आरके सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में कौन होगा ये तो महागठबंधन के ऐलान के बाद ही पता चल पाएगा.

आरा लोकसभा में अब तक किसी भी सांसद ने लगातार तीन बार जीत हासिल नहीं की है. 2 सांसदों ने 2 बार जीत दर्ज की है जिसमें 1977 और 1980 में चंद्रदेव प्रसाद वर्मा और 2014 और 2019 में आरके सिंह ने जीत हासिल की है.

अब 2024 में भाजपा आरा में जीत की हैट्रिक लगा पाएगी या नहीं ये चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा. अगर आरके सिंह जीत तीसरी बार जीत हासिल करने में सफल हो पाते हैं तो आरके सिंह आरा सीट पर अपने नाम नया रिकॉर्ड दर्ज कर पाएंगे और आरके सिंह आरा सीट से जीत की हैट्रिक लगाने वाले पहले सांसद बन जाएंगे.

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