रांची: स्मार्ट सिटी में आयोजित एक्साइज कांस्टेबल भर्ती की दौड़ प्रतियोगिता में सुमंती कुमारी ने 26 मिनट में दौड़ पूरी कर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया। आर्थिक तंगी और कठिन परिस्थितियों के बावजूद, सुमंती ने पुराने फटे जूतों से प्रैक्टिस की और कुछ दिन पहले ही चुपके से मम्मी-पापा से मिले पैसों से नया जूता खरीदा, जिसे पहनकर उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लिया।
सुमंती के पिता खेती करते हैं और परिवार की माली हालत अच्छी नहीं है, फिर भी सुमंती ने मेहनत से कभी हार नहीं मानी। उनकी मां ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और उनका सपना है कि सुमंती पुलिस की वर्दी पहने। इस सपने को पूरा करने के लिए सुमंती ने पहले दौड़ पार की, अब लिखित परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। उनके घर में चार बहनें और दो भाई हैं, जो सभी अपनी पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे हुए हैं।
सुमंती का कहना है कि उनकी मां का सपना पुलिस में भर्ती होना था, लेकिन वह पूरा नहीं हो सका। अब सुमंती अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए जी-जान से मेहनत कर रही हैं। उनके भाई भी अग्निवीर की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, और सुमंती का मानना है कि अगर उनमें से एक को भी सफलता मिलती है, तो घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
इस दौड़ प्रतियोगिता में अन्य प्रतिभागियों ने भी अपनी कहानियां साझा कीं। एक प्रतिभागी ने बताया कि वह अपनी बड़ी बहन का पुराना जूता पहनकर दौड़ीं, जो खुद पुलिस में एसआई हैं। वहीं, एक और प्रतिभागी ने 31 मिनट में दौड़ पूरी की और बताया कि पापा ने उनके लिए नया जूता खरीदा था।
सुमंती कुमारी और अन्य प्रतिभागियों की कहानियां संघर्ष, सपनों और उनके पूरा करने के संकल्प की मिसाल हैं। सभी का लक्ष्य एक है—सरकारी नौकरी पाकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारना और मां-बाप के सपनों को साकार करना।