रांची: झारखंड में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ई-रिक्शा खरीद में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। राज्य विधानसभा में विधायक प्रदीप यादव ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सरकार ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि गढ़वा और पलामू जिलों में ई-रिक्शा खरीद में अनियमितता हुई है।
उन्होंने सरकार से चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जवाब मांगा:
- जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए – उन्होंने पूछा कि विभागीय जांच किन अधिकारियों ने की और उसकी रिपोर्ट क्या है।
- अनाधिकृत डीलरों से खरीद – क्या यह सच है कि गढ़वा और डालटनगंज में ई-रिक्शा ऐसे डीलरों से खरीदे गए जो अधिकृत नहीं थे?
- अन्य जिलों में भी महंगे दामों पर खरीद – क्या अन्य जिलों में भी दोगुनी कीमत पर खरीदारी हुई?
- उपायुक्तों की भूमिका – जिला उपायुक्त, जो स्वच्छ भारत मिशन के अध्यक्ष होते हैं, उनकी जिम्मेदारी क्या रही और उनसे सरकार ने क्या स्पष्टीकरण लिया?
सरकार की ओर से मंत्री ने जवाब दिया कि गढ़वा जिले में जेम पोर्टल के माध्यम से ई-रिक्शा की खरीद हुई थी और इस मामले की विभागीय जांच करवाई जा रही है। उड़नदस्ता टीम द्वारा जांच के बाद दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, प्रदीप यादव ने सरकार की इस जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह छोटे स्तर के अधिकारियों द्वारा की जा रही है, जो पूरी तरह से संतोषजनक नहीं है। उन्होंने मांग की कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जांच कराई जाए ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।
सदन में इस मुद्दे पर बहस के दौरान उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि जांच रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही और सरकार इसे सदन के पटल पर रखने से क्यों बच रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जब सरकार खुद अनियमितता स्वीकार कर रही है तो उच्च स्तरीय जांच कराने में संकोच क्यों कर रही है।
यह मामला झारखंड में भ्रष्टाचार और सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को लेकर बड़े सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाता है या नहीं।