रांची: नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लागू होने के बाद रांची यूनिवर्सिटी से संबद्ध सरकारी अंगीभूत कॉलेजों में वर्ष 2024 से इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद कर दी गई थी। इस फैसले को लेकर अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें इंटर की पढ़ाई फिर से शुरू करने और इंटर सेक्शन में कार्यरत अनुबंधित कर्मचारियों की सेवा को समायोजित करने की मांग की गई थी। परंतु, झारखंड उच्च न्यायालय ने रांची यूनिवर्सिटी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संबंधित याचिकाएं (LPA 130/2024, 307/2023, 309/2023 और 316/2023) खारिज कर दी हैं।
कोर्ट के इस आदेश के बाद डीईओ रांची विनय कुमार ने कॉलेजों को पत्र भेजकर इंटर सेक्शन में नामांकित छात्रों को अन्य प्लस टू हाईस्कूलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। वहीं, वर्षों से इंटर सेक्शन में सेवा दे रहे अनुबंधित कर्मचारी डिग्री कॉलेजों में समायोजन की मांग को लेकर राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो के साथ इंटर स्टाफ ने हाल ही में रजिस्ट्रार का घेराव कर चार घंटे तक प्रदर्शन किया था। इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 16 अप्रैल को दोपहर 2 बजे 10 प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन का पक्ष:
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि इंटरमीडिएट सेक्शन झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के अधीन संचालित होता था और कर्मचारियों का मानदेय भी JAC के खाते से ही दिया जाता था। यह अस्थायी व्यवस्था कॉलेज प्राचार्य की अनुशंसा पर की गई थी। NEP के तहत अब विश्वविद्यालय स्तर पर इंटर की पढ़ाई नहीं होगी।
कर्मचारियों का पक्ष:
कर्मचारियों का कहना है कि वे वर्षों से इंटर से लेकर पीजी स्तर तक विभिन्न कार्यों में योगदान देते आ रहे हैं, ऐसे में उन्हें अचानक हटाना अन्यायपूर्ण है। वे सेवा समायोजन की मांग को लेकर संघर्ष जारी रखने के पक्ष में हैं।