रांची:आरआरडीए में भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की प्रक्रिया इन दिनों बेहद धीमी हो गई है, जिससे आम नागरिकों के साथ-साथ रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े लोगों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में इसी मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछले चार महीनों से नगर निगम में नक्शा स्वीकृति की प्रक्रिया ठप पड़ी है, जिससे आम जनता प्रभावित हो रही है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह रांची नगर निगम में शीघ्र लीगल अफसर की नियुक्ति करे। मामले की अगली सुनवाई की तिथि 6 मई तय की गई है।
वहीं, आरआरडीए में नक्शा पास करने की प्रक्रिया चालू तो है, लेकिन इतनी धीमी कि एक आवेदन के स्वीकृत होने में दो से तीन महीने का समय लग रहा है। गौरतलब है कि आरआरडीए में लीगल अफसर का पद स्वीकृत नहीं है, जिस कारण भू-संपदा पदाधिकारी को ही जमीन से संबंधित दस्तावेजों की जांच करनी पड़ रही है। प्रारंभिक स्तर पर जांच होने के बाद भी, फाइलें उच्च स्तर पर लंबित पड़ी रह जाती हैं, जिससे देरी हो रही है।
याचिकाकर्ता कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) की ओर से अधिवक्ता कुमार वैभव ने अदालत को बताया कि रांची नगर निगम में 320 नक्शा आवेदन लंबित हैं। सरकार ने अदालत को जानकारी दी कि नक्शा स्वीकृति से जुड़े नियमों में बदलाव का प्रस्ताव विचाराधीन है और एसओपी के तहत लीगल अफसर द्वारा ही दस्तावेजों की जांच होनी चाहिए।
खंडपीठ ने साफ किया कि नक्शा स्वीकृति से पहले दस्तावेजों की जांच का दायित्व केवल लीगल अफसर का है, इसे किसी अन्य अधिकारी को नहीं दिया जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि नियमों में जो भी बदलाव करना है, वह शीघ्र करे और लीगल अफसर की नियुक्ति को प्राथमिकता दे।