मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिला में मंदिर से जुड़ा सनसनीखेज मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। सकरा प्रखंड के जगदीशपुर बघनगरी पंचायत में हिंदू मठ की जमीन मुसलमान के नाम पर होने का मामला है। इस वाक्या के बाद प्रशासन भी चौकन्ना हो गया है। दूसरी तरफ इलाके को लोग जिला प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि हिंदू मठ की करोड़ों की कीमत वाली जमीन गैर-हिंदुओं के नाम कैसे दर्ज हो गया है। यह मामला सकरा प्रखंड के जगदीशपुर बघनगरी स्थित राम जानकी मठ का है। मठ की करोड़ों रुपए की जमीन जहीर खान समेत कई अन्य गैर-हिंदुओं के नाम पर दर्ज पाया गया है।
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राम जानकी मठ की जमीन की जमाबंदी जहीर खां के नाम होने का खुलासा हुआ तो स्थानीय लोग हैरान रह गए
दरअसल, राम जानकी मठ की जमीन की जमाबंदी जहीर खां के नाम होने का खुलासा हुआ तो स्थानीय लोग हैरान रह गए। फिर ग्रामीणों में सामूहिक रूप से बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने पर्षद को चिट्ठी लिखकर मामले में मदद की गुहार लगाई। मामले को संज्ञान में लेते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने कार्रवाई का निर्देश दिया, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ है। अब यह मामला सरकार तक जा पहुंचा। मुजफ्फरपुर के राजस्व अपर समाहर्ता के आदेश पर सकरा प्रखंड के अंचलाधिकारी की जांच में गड़बड़ी भी सामने आया है। उसमें मठ की जमीन को लेकर भारी घपले का खुलासा हुआ।
राम जानकी मठ 60-70 एकड़ में फैला हुआ है – मुखिया राजेश कुमार मिश्रा
इस मामले पर सकरा प्रखंड के जगदीशपुर बघनगरी पंचायत के मुखिया राजेश कुमार मिश्रा का कहना है कि राम जानकी मठ 60-70 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें मंदिर 30 एकड़ में है। मंदिर के महंत श्यामसुंदर दास ने अवैध तरीके से मुस्लिम परिवार जहीर खान को बसाया और बासगीत पर्चा तक दिया गया है, मठ में हिंदू लोग पूजा करने से कतराने लगे हैं। हिंदुओं की आस्था पर ठेस पहुंचा रहे हैं। ग्रामीणों के द्वारा फर्जी जमाबंदी रद्द करने के लिए केस भी किया गया है। वहीं इस मामले पर राम जानकी मठ के पुजारी महंत श्यामसुंदर दास ने बेबुनियाद आरोप लगाने की बात कही है। दरअसल, तीन मई 2024 को पुजारी राघवेंद्र दास के द्वारा मारपीट की घटना के बाद 307 के मुजरिम द्वारा प्रायोजित तरीके से महंथी पर कब्जा करने के लिए षडयंत्र किया जा रहा है। जहीर खान पर जानलेवा हमला किया गया था।
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जहीर खान के परिवार का 1950 की जमाबंदी है
वही इस मामले पर जहीर खान का कहना है कि उनका परिवार ही मठ की सेवा में रहा है, पूर्वज से लोग रहते आए हैं पहले पिता के नाम पर जमाबंदी था, अब मेरे नाम पर है। हालांकि, अंचल अधिकारी की जांच रिपोर्ट कहती है कि जमीन उन लोगों के नाम दर्ज है जो मठ के सेवइत नहीं हैं और उनका मठ से कोई लेनादेना नहीं है।
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संतोष कुमार की रिपोर्ट