झारखंड में वज्रपात बना मौत का साया: पांच दिन में 21 की जान गई, मौसम वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

रांची: झारखंड में पिछले एक दशक से आसमानी बिजली का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बार इसकी प्रकृति और भी खतरनाक हो गई है।

राज्य में अब बारिश के बिना भी वज्रपात हो रहा है, जिससे कई जिंदगियां अकाल मौत का शिकार बन रही हैं। बीते पांच दिनों में रांची समेत राज्य के कई जिलों में वज्रपात की घटनाओं में कुल 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 31 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों से कई मामलों की सूचना सामने तक नहीं पहुंचती, जिससे वास्तविक आंकड़े और भी भयावह हो सकते हैं।

मौसम विज्ञान केंद्र, रांची के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद का कहना है कि झारखंड भूगर्भीय और पारिस्थितिकीय रूप से ऐसा क्षेत्र है जहां वज्रपात की संभावना पहले से अधिक रही है। वन संपदा, पहाड़ी इलाके और खनिजों की मौजूदगी वज्रपात को आकर्षित करती है।

लेकिन बीते कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन इसका प्रमुख कारण बनकर उभरा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और बढ़ती गर्मी के कारण वातावरण में भाप की मात्रा बढ़ी है, जिससे बादल अधिक बनते हैं और वज्रपात की घटनाएं तीव्र होती जा रही हैं।

अभिषेक आनंद के अनुसार, झारखंड में हर साल औसतन 350 से ज्यादा लोग वज्रपात की चपेट में आकर जान गंवा देते हैं, हालांकि असल आंकड़े इससे ज्यादा हो सकते हैं।

उन्होंने चेताया कि केवल सतर्कता और जागरूकता से ही इस प्राकृतिक आपदा से जान बचाई जा सकती है। मौसम विभाग की चेतावनियों को नजरअंदाज न करें, बारिश या गरज-चमक के समय खुले मैदान, ऊंचे स्थानों, बिजली के खंभों, तारों या धातु की चीज़ों से दूर रहें। पेड़ के नीचे खड़ा होना भी खतरनाक साबित हो सकता है।

सरकार द्वारा वज्रपात को प्राकृतिक आपदा घोषित किया गया है और इससे होने वाली मौत पर चार लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान है। घायलों को इलाज के लिए सहायता दी जाती है और यदि मवेशी या घर का नुकसान होता है तो उसका भी मुआवजा तय है।

लेकिन दुर्भाग्यवश, ग्रामीण इलाकों के अधिकांश लोग इस सरकारी योजना से अनभिज्ञ हैं। बहुत कम परिवार ही आवेदन कर पाते हैं और वे भी स्थानीय नेताओं या जागरूक नागरिकों की पहल से।

इस विकट स्थिति में जरूरी है कि सरकारी योजनाओं की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचे और वज्रपात के समय की जाने वाली सावधानियों को जन-जागरूकता के माध्यम से हर नागरिक तक पहुंचाया जाए।