दीदी की नर्सरी: पर्यावरण संरक्षण के साथ आत्मनिर्भरता की कहानी। मधुबनी की महिलाएं बना रही हैं हरियाली को आजीविका का ज़रिया Bihar
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मधुबनी: मधुबनी जिले की ग्रामीण महिलाएं अब केवल अपने परिवारों की देखभाल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे जीविका कार्यक्रम से जुड़कर सामाजिक और आर्थिक बदलाव की अग्रदूत बन रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रमुख पर्यावरणीय पहल जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत शुरू की गई “दीदी की नर्सरी” योजना ने इन महिलाओं को नई पहचान दी है — एक हरियाली सृजक, एक उद्यमी और एक पर्यावरण योद्धा के रूप में। Bihar Bihar Bihar
हरियाली से समृद्धि की ओर
मधुबनी जिले में कुल 23 दीदी की नर्सरियां संचालित हो रही हैं। इनमें से 7 वन विभाग और 16 मनरेगा के सहयोग से चलाई जा रही हैं। इन नर्सरियों के माध्यम से प्रत्येक यूनिट को 20,000 पौधे और अतिरिक्त 20 फीसद बोनस पौधे दिए जाते हैं। पौधों की आपूर्ति व खरीद वन विभाग और जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से की जाती है। जबकि देखरेख के लिए प्रति पौधा ₹20 का भुगतान जीविका दीदियों को दिया जाता है। Bihar Bihar Bihar Bihar Bihar
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Bihar के मधुबनी में संचालित नर्सरी
वन विभाग के अंतर्गत (7 नर्सरी)
- झंझारपुर: 3
- राजनगर: 1
- बिस्फी: 1
- हरलाखी: 1
- मधवापुर: 1
मनरेगा के अंतर्गत (16 नर्सरी)
फुलपरास, लखनौर, घोघरडीहा, मधेपुर, अंधराठाढ़ी, राजनगर, खजौली, लदनियां, क्लुआही, बासोपट्टी, जयनगर, बेनीपट्टी, रहिका, बिस्फी, पंडौल, लौकही — प्रत्येक में 1-1 नर्सरी।
दीदी की नर्सरी ने मेरी ज़िंदगी बदल दी”
मधवापुर प्रखंड की रहने वाली देवकी देवी वर्ष 2016 से जीविका समूह से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने समूह से कई बार ऋण लेकर बच्चों की पढ़ाई करवाई, बेटी की शादी की और धीरे-धीरे खुद को आत्मनिर्भर बनाया। देवकी देवी ने वन विभाग से आवेदन कर “दीदी की नर्सरी” की जिम्मेदारी ली और उन्हें 1.40 लाख रूपये की अग्रिम राशि भी मिली। आज उनकी नर्सरी से उन्हें सालाना 2 लाख रूपये की आमदनी होती है। उनका साथ उनके पति इंद्रदेव पंजियार भी देते हैं। “यह नर्सरी न केवल हमारे परिवार की आय का स्रोत बनी, बल्कि पर्यावरण को हरा-भरा रखने में भी मदद कर रही है। मैंने 7-8 बार समूह से कर्ज लिया और उससे अपना कारोबार खड़ा किया।
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एक योजना दो फायदे, हरियाली भी, आजीविका भी
दीदी की नर्सरी योजना बिहार सरकार के लिए न केवल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कारगर कदम है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महिला सशक्तिकरण का भी उत्कृष्ट उदाहरण बन चुकी है। पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी यह पहल महिलाओं को स्थायी रोजगार, आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन दे रही है। मधुबनी की दीदियों की यह कहानी पूरे बिहार में बदलाव की मिसाल बन रही है। जहां हर पौधा आशा है और हर दीदी प्रेरणा।
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