Tuesday, July 22, 2025

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शोभन योग में कल वट सावित्री, अखंड सौभाग्य व संतान प्राप्ति की कामना से महिलाएं रखेंगी व्रत

पटना : अखंड सौभाग्य की कामना से सुहागिन महिलाएं 26 मई यानी सोमवार को वट सावित्री का व्रत रखेंगी। इस दिन भरणी और कृतिका नक्षत्र के युग्म संयोग के साथ शोभन योग विद्यमान रहेगा। उस दिन अमावस्या तिथि सुबह 11:02 बजे से दिन भर रहेगी। सोमवार को अमावस्या होने से इस दिन सोमवती अमावस्या का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। ऐसे उत्तम संयोग में वट सावित्री की पूजा और भी फलदायी होगी। वट वृक्ष को देव वृक्ष माना गया है। इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम और पति व्रत धर्म का स्मरण करती हैं। वट वृक्ष (बरगद का पेड़) को त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का निवास स्थान माना जाता है, इसलिए इसकी पूजा का विशेष धार्मिक महत्व है।

शोभन योग में कल वट सावित्री, अखंड सौभाग्य व संतान प्राप्ति की कामना से महिलाएं रखेंगी व्रत

वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं स्नान करके 16 श्रृंगार करती हैं

वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं स्नान करके सोलह श्रृंगार करती हैं। फिर वे बरगद के पेड़ के नीचे जाकर सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करती हैं। वे पेड़ के तने पर कच्चा सूत या लाल धागा लपेटते हुए परिक्रमा करती हैं, फल, फूल, मिठाई और भीगे चने आदि अर्पित करती हैं। वट सावित्री व्रत कथा का श्रवण किया जाता है और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी। वहीं, इसका समापन 27 मई को सुबह आठ बजकर 31 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए वट सावित्री व्रत 26 मई दिन सोमवार को रखा जाएगा। इसी दिन सोमवती अमावस्या का संयोग भी रहेगा।

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वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

1. वट सावित्री व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। महिलाएं सोलह श्रृंगार कर सकती हैं।

2. ‘मम वैधव्य दोष परिहारार्थं, पुत्र-पौत्रादि सकल संतान समृद्धर्थम्, सौभाग्य स्थैर्यसिद्धयर्थं वट सावित्री व्रत करिष्ये’ मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें।

3. पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात प्रकार के अनाज, फल, फूल, भीगे हुए चने, मिठाई, पूरी, खीर, धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत, सिंदूर, कच्चा सूत या लाल धागा, जल का कलश, वट वृक्ष की जड़ में अर्पित करने के लिए जल और बरगद के पेड़ के नीचे बैठने के लिए एक आसन तैयार करें।

4. वट वृक्ष (बरगद का पेड़) के नीचे जाएं. सबसे पहले सावित्री-सत्यवान और यमराज की प्रतिमा स्थापित करें (यदि प्रतिमा न हो तो मानसिक रूप से उनका ध्यान करें)। वृक्ष पर जल अर्पित करें और कुमकुम, हल्दी, अक्षत आदि चढ़ाएं और धूप-दीप जलाएं। भीगे हुए चने, फल, मिठाई और अन्य नैवेद्य भी अर्पित करें।

5. वट वृक्ष के तने पर कच्चा सूत या लाल धागा सात बार लपेटते हुए परिक्रमा करें। हर परिक्रमा के साथ ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘ॐ वटवृक्षाय नमः’ मंत्र का जाप करें। यह पति की लंबी आयु और सौभाग्य का प्रतीक है।

6. वट सावित्री व्रत कथा सुनें या पढ़ें। यह कथा सावित्री और सत्यवान के अटूट प्रेम और भक्ति को दर्शाती है। पति की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।

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