अब हर नए थाने में होगी अलग ‘सुविधा’, बनेंगे 545 थानों के लिए अलग महिला बैरक। बिहार पुलिस में बढ़ती महिला शक्ति: हर नए थाने में अब अलग बैरक और शौचालय अनिवार्य। अब हर नई पोस्टिंग में सुविधा सुनिश्चित, महिला पुलिसकर्मियों को मिलेगा सम्मानजनक कार्यस्थल। बदलता बिहार पुलिस तंत्र: महिला सशक्तिकरण के लिए थानों में विशेष सुविधाएं अनिवार्य
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण के लिए एक और प्रभावी कदम बढ़ा दिया है। अब तक महिला पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के दौरान शौचालय और वॉशरूम के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती थी। लेकिन अब उन्हें ये परेशानी नहीं झेलनी होगी। महिला पुलिसकर्मियों को कार्यस्थल पर ‘आवश्यक सुविधाएं’ देने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। राज्य के 545 थाना भवनों में महिला बैरकों का निर्माण करा दिया गया है, जबकि हर नए थाना भवन में महिलाओं के लिए अलग शौचालय और बैरक बनाना अनिवार्य कर दिया गया है।
महिलाओं की बढ़ी सुविधाएं
एडीजी (आधुनिकीकरण) सुधांशु कुमार ने बताया कि एक समय था, जब बिहार पुलिस में महिला कर्मियों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन अब यह आंकड़ा 23 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। इस बढ़ती भागीदारी को देखते हुए सरकार उनके लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर करने पर खास ध्यान दे रही है। जिसका नतीजा है कि अब महिला पुलिस कर्मियों के लिए अलग से शौचालय, स्नानगृह बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से बैरक का भी निर्माण किया जा रहा है।
थानों में साफ-सुथरे शौचालय और बैरक जरूरी
एडीजी ने बताया कि अब तक 678 थानों में पांच सीट वाले और 257 थानों में दो सीट वाले शौचालय बन चुके हैं, जिससे ड्यूटी पर तैनात महिला कर्मियों को बड़ी राहत मिली है। इसके साथ ही हर नए थाना भवन में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग शौचालय और बाथरूम अनिवार्य कर दिए गए हैं।
25 पुलिस केंद्रों पर बनेंगे बड़े महिला बैरक
महिलाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार 25 प्रमुख पुलिस केंद्रों पर 100 से 500 क्षमता वाले बड़े महिला बैरकों का निर्माण भी कर रही है। इससे नाइट ड्यूटी, रूरल पोस्टिंग या अस्थायी तैनाती के दौरान महिला पुलिसकर्मियों को ठहरने की बेहतर सुविधा मिलेगी। माना जा रहा है ये महिला सशक्तीकरण की ओर बड़ा कदम साबित होगा।
महिला सशक्तिकरण का नया मॉडल बनता बिहार
बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की कार्यशैली, सम्मान और सुविधा को लेकर हो रहे ये बदलाव न केवल उन्हें सशक्त बना रहे हैं, बल्कि बिहार पुलिस की एक नई प्रगतिशील पहचान भी गढ़ रहे हैं। जो न केवल बिहार पुलिस की छवि में सुधार करेगी बल्कि पूरे देश के लिए भी एक मिसाल पेश करेगी।
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पटना से स्नेहा की रिपोर्ट
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