संक्षेप में:
बाघमारा के केशरगढ़ा में चाल धंसने की घटना के 48 घंटे बाद भी रेस्क्यू में लापरवाही सामने आई है। गुरुवार रात 11 बजे BCCL के GM ने जेसीबी ऑपरेटर की ड्यूटी खत्म होने का हवाला देकर बचाव कार्य रोक दिया। इस दौरान NDRF की टीम सक्रिय थी और मजदूरों के जीवित होने की उम्मीद बनी हुई थी। सांसद सी.पी. चौधरी ने प्रशासनिक समन्वय की कमी और BCCL की असंवेदनशीलता पर नाराजगी जताई। अब रेस्क्यू शुक्रवार को दोबारा शुरू होगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या मानव जीवन की कीमत महज एक शिफ्ट की ड्यूटी से तय होगी?
यह निर्णय तब लिया गया जब इलाके में मजदूरों के मलबे में दबे होने की आशंका के बीच एनडीआरएफ की टीम बचाव में लगी थी और स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी थी कि शायद दबे लोगों को निकाला जा सकेगा। लेकिन प्रशासनिक समन्वय की कमी और BCCL के असहयोग ने इस उम्मीद को झटका दिया।
सांसद ने जताई नाराजगी
स्थानीय सांसद सी.पी. चौधरी ने रेस्क्यू प्रयासों के लिए लगातार प्रयास किए, लेकिन BCCL प्रबंधन के सहयोग की कमी ने उन्हें भी निराश किया। उन्होंने इसे “मानव जीवन की उपेक्षा” करार दिया।
प्रशासन सक्रिय, पर तकनीकी बाधाएं बनीं
एनडीआरएफ कमांडर सूरज कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन ने हरसंभव सहयोग प्रदान किया है और उनकी टीम जल्द ही मजदूरों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर, DGMS के डिप्टी डायरेक्टर मिथिलेश कुमार ने बयान दिया कि “यह घटना मीडिया हाईप भी हो सकती है, फिर भी जांच जारी है।”
केशरगढ़ा चाल धंसने का मामला : BCCL GM का जवाब
BCCL के महाप्रबंधक माणिक साह का कहना है कि “एनडीआरएफ को पूरा सहयोग दिया जा रहा है, और जल्द ही समाधान निकलेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि अवैध खनन की जांच की जाएगी।
अब रेस्क्यू ऑपरेशन शुक्रवार को दोबारा शुरू होगा, लेकिन यह सवाल सबके मन में है कि क्या मजदूरों की जान की कीमत सिर्फ एक ऑपरेटर की ड्यूटी शिफ्ट तक सीमित रह गई है? BCCL की लापरवाही और प्रशासनिक समन्वय की खामियां एक बार फिर कोयलांचल क्षेत्र में खनन हादसों को लेकर संवेदनशीलता की पोल खोल रही हैं।
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