रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को झटका देते हुए 18 अस्थायी कर्मियों को पेंशन और ग्रेच्युटी सहित सभी सेवानिवृत्ति लाभ देने का निर्देश दिया है। जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने बुधवार को सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि जब सरकार की पेंशन नियमावली में 15 वर्षों की सेवा के बाद पेंशन का प्रावधान है, तो इन कर्मचारियों को इसका लाभ क्यों नहीं दिया गया।
जल संसाधन विभाग के कर्मियों ने दाखिल की थी याचिका
यह याचिका सुरेंद्र नाथ महतो सहित 18 सेवानिवृत्त कर्मियों ने दायर की थी, जिनकी नियुक्ति वर्ष 1980 के आस-पास जल संसाधन विभाग में क्लर्क, अमीन और रेंट कलेक्टर जैसे पदों पर अस्थायी रूप से की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि उन्होंने विभाग में लगातार 15 से 30 वर्षों तक सेवा की, बावजूद इसके सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन नहीं दी गई। सरकार ने उन्हें सीजनल कर्मचारी बताकर लाभ से वंचित रखा।
अदालत ने कहा: सेवा न अनियमित, न ही सीजनल
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने कोर्ट में तर्क रखा कि उनके मुवक्किल नियमित रूप से स्थायी पदों पर कार्यरत रहे हैं और उनकी सेवा न तो अस्थायी थी, न अनियमित और न ही सीजनल। अदालत ने बिहार पेंशन नियम, 1950 के नियम 59, तथा राज्य सरकार के 12 अगस्त 1969 और 13 जनवरी 1975 के संकल्पों का हवाला देते हुए कहा कि 15 वर्षों से अधिक की निरंतर सेवा देने वाले अस्थायी कर्मचारी भी पेंशन के हकदार हैं।
चार महीने में बकाया राशि सहित सभी लाभ देने का आदेश
अदालत ने राज्य सरकार को चार माह की समयसीमा देते हुए निर्देश दिया कि सभी 18 प्रार्थियों को न सिर्फ पेंशन और ग्रेच्युटी, बल्कि सेवानिवृत्ति की तिथि से अब तक की बकाया राशि का भुगतान भी सुनिश्चित करे। कोर्ट ने यह फैसला न्याय के सिद्धांतों के तहत महत्वपूर्ण बताया है और कहा कि सरकार को अपने ही बनाए नियमों का पालन करना होगा।
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