गयाजी : कुछ कर गुजरने का माद्दा हो तो विपरीत हालत भी आड़े नहीं आते। कुछ ऐसी ही कहानी है बिहार के गयाजी के श्वेता भगत की। श्वेता लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा पास कर गृह मंत्रालय के अधीन रहे राजभाषा अधिकारी बनी है। इस सफलता को पाने में श्वेता भगत को कई बार ऐसे हालातों से जूझना पड़ा, जब लगा कि अब लक्ष्य पीछे छूट जाएगा। हालांकि मुश्किल वाले हालातों में भी धैर्य नहीं खोया और एकाग्रचित होकर अध्ययन करती रहती। आखिरकार यूपीएससी पास कर श्वेता ने अपनी सफलता की कहानी गढ़ दी। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन इंदौर में श्वेता भगत राजभाषा अधिकारी के रूप में पोस्टेड हैं।
पिता सुशील बेचते हैं पान बेटी में बनी ऑफिसर
पिता सुशील भगत पान बेचते हैं, बेटी में ऑफिसर बनी। कहानी बिहार के गयाजी के वजीरगंज प्रखंड के चतुर्थी गांव अमेठी गांव से दूर है। भजन प्रखंड के अमेठी गांव की रहने वाली श्वेता भगत पान बेचने वाले सुशील भगत की बेटी पान का कारोबार करते और अपनी बेटी के लिए पैसों का जुगाड़ करती है। बेटी अपने लच्छी को पाने के लिए दिन रात एक करती है। गांव की बेटी श्वेता भगत आखिरकार सफल होती है। राजभाषा यूपीएससी पास के जब राजभाषा अधिकारी बनती है तो परिवार और गांव के लोगों के बीच खुशी का ठिकाना नहीं रहता है।
पानी बेचने कोलकाता में शुरू किया पान भेजने का कारोबार पिता ने किया – बेटी श्वेता
बेटी को कहना था पिता सुशील भगत ने कोलकाता में पान भेजने का कारोबार शुरू किया। सुशील भगत गरीब किसान परिवार से आते हैं। उनके आर्थिक हालात अच्छे नहीं है। अमेठी गांव में रहने के दौरान घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में उन्होंने कोलकाता जाकर पान भेजना शुरू कर दिया। घर का खर्च किसी तरह से चलने लगा। इस बीच उन्हें बेटी श्वेता की पढ़ाई की चिंता होने लगी। प्रखंड के अमेठी स्थित सरकारी विद्यालय में शिक्षा लेनी शुरू की। एक से चार तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल में चली। बाकी स्कूल काफी दूर था। ऐसे में पिता सुशील भगत को लगा कि उन्हें बेटी को पढ़ना है तो उसके लिए गांव छोड़ना होगा। क्योंकि बेटी को सरकारी स्कूल जाने के लिए करीब कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। ऐसे में सुशील भगत को पढ़ाने और ऑफिसर बनने की तमन्ना भी हुई तो वह कोलकाता चले आए।
यह भी देखें :
पिता सुशील ने पहले किराए के मकान में रहे और फिर ली खोली
आपको बता दें कि पहले किराए के मकान में रहे, फिर खोली ली। सुशील भगत पहले पूरे परिवार के साथ किराए का मकान में रहे। पान के व्यापार से थोड़ा पैसा हुआ तो खोली ली। इसके बाद धीरे-धीरे बेटी को सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाया। श्वेता ने पांचवी से 10वीं के बाद मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही पास की। इसके बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी मास्टर में आर्ट्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा पास किया और राजभाषा प्राधिकारी बनी। पिता ने दिन रात मेहनत कर अपनी बेटी के लिए के फॉर्म भरने के लिए पैसे का जुगाड़ किया। श्वेता ने अपनी मेहनत से उस समाज के लिए भी एक मित्र तोड़ा है। श्वेता की संघर्ष की कहानी आज के युवाओं के लिए प्रेरणा लेकर आई है।
यह भी पढ़े : सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने बांटे आमंत्रण पत्र, बोले- 22 अगस्त को ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेगा गयाजी…
आशीष कुमार की रिपोर्ट
Highlights