चौथी व पांचवीं क्लास के छात्र-छात्राएं कर रहे मजदूरी
गिरिडीह : जिले के नक्सल प्रभावित तीसरी प्रखंड में मनरेगा योजना के तहत बन रहे सार्वजनिक तालाब में ठेकेदार मजदूर के तौर पर बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं. बच्चों को 200 रुपए मजदूरी जाती दी जाती है और उनसे 9 घंटे का काम करवाया जाता है. जिसमें ईंट, बालू व गिट्टी ढोना होता है. इसके अलावा सीमेंट और बालू को मिक्स करके मिस्त्री तक पहुंचाना होता है.
इस तालाब निर्माण में बच्चों का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है ताकि उससे मन मुताबिक काम करवाया जा सके. वहीं ठेकेदार इन बच्चों को मजदूरी के नाम पर कम पैसे देती है. इस बाल श्रम में चौथी और पांचवी कक्षा के छात्र-छात्राएं काम कर रही है.
हालांकि घटना की जानकारी मिलते ही सवेरा फाउंडेशन के चाइल्ड हेल्पलाइन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और तुरंत बाल श्रम को रूकवाया. फाउंडेशन के अधिकारी अमर पाठक ने बताया कि बच्चे द्वारा काम कराए जाने की सूचना पिछले 1 सप्ताह से लगातार मिल रही थी. लेकिन जब आज घटनास्थल पर पहुंचे तो यह देखा गया कि बच्चे बच्चियां सार्वजनिक तालाब निर्माण कार्य में मजदूर के तौर पर काम कर रही हैं. जो 15वें वित्त आयोग के माध्यम से निर्गत हुआ है. नाबालिग मजदूर काजल कुमारी खुद कहती है कि वह कक्षा चार की छात्रा है और यहां पर वह मजदूरी कर रही है. रोजाना उसे दिहारी 200 रुपए दिया जाता है.
रिपोर्ट : चांद
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