सीयूजे के डॉ. ताशी की पुस्तक तिब्बतन लैंग्वेज फॉर नॉन-तिब्बतन का विमोचन कुलपति ने किया। प्रस्तावना दलाई लामा ने लिखी। पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध।
रांची: सीयूजे के सुदूर पूर्व भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. कोंचोक ताशी की पुस्तक “Tibetan Language for Non-Tibetan: A Beginner’s Guide to Writing and Speaking Tibetan” का विमोचन कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने किया। यह पुस्तक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन संस्था स्प्रिंगर नेचर से प्रकाशित हुई है और इसकी प्रस्तावना परम पावन 14वें दलाई लामा ने लिखी है।
कार्यक्रम में कुलसचिव श्री के. कोसल राव, प्रो. विमल किशोर, प्रो. तपन कुमार बसंतिया, डॉ. अनुराग लिंडा, डॉ. सुदर्शन यादव और डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह समेत कई विद्वान मौजूद थे।
Key Highlights
सीयूजे के डॉ. कोंचोक ताशी की पुस्तक स्प्रिंगर नेचर से प्रकाशित
प्रस्तावना परम पावन 14वें दलाई लामा द्वारा लिखित
पुस्तक का विमोचन कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने किया
तीन प्रतिलेखन पद्धतियों से तिब्बती सीखने का सरल तरीका
अमेज़न और स्प्रिंगर नेचर की वेबसाइट पर उपलब्ध
कुलपति ने कहा कि यह पुस्तक भाषा सीखने के साथ सांस्कृतिक समझ को भी बढ़ावा देती है और छात्रों व शोधार्थियों के लिए अमूल्य संसाधन है। दलाई लामा ने प्रस्तावना में लिखा है कि तिब्बती भाषा नालंदा परंपरा की विरासत और ज्ञान को संजोए हुए है और डॉ. ताशी का यह योगदान युवा पीढ़ी को तिब्बती संस्कृति से जोड़ने में मदद करेगा।
डॉ. ताशी ने बताया कि यह पुस्तक दुनियाभर के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसमें तीन पूरक प्रतिलेखन पद्धतियों (वाइली प्रणाली, सरलीकृत ध्वन्यात्मक प्रतिलेखन और इंटरनेशनल फोनेटिक अल्फाबेट) का प्रयोग कर भाषा सीखने को आसान बनाया गया है।
तिब्बती भाषा पर एक दशक से अधिक शिक्षण अनुभव रखने वाले डॉ. ताशी वर्तमान में हिमालयी भाषाओं और बौद्ध मठों के संरक्षण पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं से जुड़े हैं। उन्हें इंडिया प्राइम अवार्ड्स-2021, सीयूजे सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता पुरस्कार-2022 और शोध उत्कृष्टता पुरस्कार-2024 से सम्मानित किया जा चुका है। यह पुस्तक अमेज़न और प्रकाशक की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
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