Friday, September 26, 2025

Related Posts

बीजेपी-रालोमो को बड़ा झटका, विधानसभा चुनाव की निकटता के साथ ही शुरू हुआ नेताओं की खेमा बदली

बीजेपी-रालोमो को बड़ा झटका, विधानसभा चुनाव की निकटता के साथ ही शुरू हुआ नेताओं की खेमा बदली

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा में अभी थोड़े की दिन बचे हैं। ऐसे में पार्टियों को अपनी जमीनी कार्यकर्ता को बांधे रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। आलाकमान से अपने स्वार्थ पूर्ति नही होने की स्थिति में पार्टी नेताओं की खेमा बदली आम बात हो गई है।

Goal 7 Bihar News, Jharkhand News & Live Updates

देवेंद्र कुशवाहा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है

इसी कड़ी में राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के देवेंद्र कुशवाहा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि फिलहाल वो किसी पार्टी में नही जा रहे हैं बल्कि शेखपुरा की स्थानीय समस्याओं के लिए आंदोलन करेंगे। विश्लेषक उनेके इस कदम को चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। संभावना है कि वे निर्दलीय ही चुनाव में ताल ठोंक सकते हैं।

देवेंद्र के इस कमद को राजनीतिक विश्लेषक विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं

रालोमो सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा के काफी निकट माने जाने वाले देवेंद्र के इस कमद को राजनीतिक विश्लेषक विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि देवेंद्र कुशवाहा निर्दलीय ही विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। उनकी पत्नी अभी जिले के कसार पंचायत की मुखिया हैं। जिलें में देवेंद्र को रालोमो में दूसरी धुरी के प्रमुख नेताओं में माना जाता है।

BJP के पूर्व विधायक जनार्दन यादव ने भी कहा अलविदा

इधर, अमित शाह के दौरे से पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है। नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुके पूर्व भाजपा विधायक जनार्दन यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। एक तरफ जहां जिले में पार्टी के द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को घुटटी दी जा रही है। वैसे में इसका इस्तीफा पार्टी को बड़ा झटका है। क्योंकि शाह फारबिसगंज में कार्यकर्ताओं से मिलने वाले हैं और यह इलाका जनार्दन यादव का गढ़ माना जाता है।

जनार्दन यादव का राजनीतिक सफर बहुत लंबा और दिलचस्प है

जनार्दन यादव का राजनीतिक सफर बहुत लंबा और दिलचस्प है। पहली बार 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन कम उम्र के कारण उन्हें हाई कोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया और दोबारा चुनाव कराया। 1980 में हुए उपचुनाव में वे भाजपा से जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2000 और 2005 में भी उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। 2015 में पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया, लेकिन इस बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। चुनावी समर में नेताओं की दलबदली आम हो चली है। लेकिन एनडीएमहागठबंधन की टक्कर के बीच प्रशांत किशोर की चाल से बदले चुनावी माहौल में BJP नेताओं का मोहभंग कही भारी कीमत न ले ले।

ये भी देखे :  मुख्यमंत्री ने दरभंगा में कुल 97 योजनाओं का किया उद्घाटन व शिलान्यास, लाभुकों से किया संवाद

142,000FansLike
24,100FollowersFollow
628FollowersFollow
619,000SubscribersSubscribe