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Sunday, October 12, 2025
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11 हजार वोल्ट के झूलते तार ने ली मजदूर की जान, बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप, ग्रामीणों में आक्रोश

Bokaro: बिजली विभाग की लापरवाही ने एक मजदूर की जान ले ली। यह दर्दनाक घटना चंदनकियारी–पुरुलिया हाइवे पर बरमसिया ओपी क्षेत्र के हुटूपाथर मोड़ के पास हुई। जहां झूलते 11 हजार वोल्ट के हाई वोल्टेज तार की चपेट में आने से एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई। मजदूर की मौके पर ही हुई मौत : मृतक की पहचान घाघरी गांव निवासी 43 वर्षीय घलटू महतो के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार घलटू महतो हाइवे किनारे स्थित एक घर के निर्माण कार्य में छत की शटरिंग के लिए लोहे की सरिया चढ़ा रहा था। तभी सरिया उपर...

दिवाली और छठ पूजा पर फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों में भारी भीड़, जानिए वेटिंग लिस्ट की स्थिति

Desk. दीपावली और छठ पूजा जैसे बड़े पर्वों को देखते हुए भारतीय रेलवे ने फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया है, ताकि घर लौट रहे यात्रियों को सहूलियत मिल सके। लेकिन हर साल की तरह इस बार भी ट्रेनों में टिकट बुकिंग को लेकर भारी मारामारी देखी जा रही है। खासकर, हरदोई होकर गुजरने वाली फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों में स्लीपर और एसी कोचों में वेटिंग लिस्ट इतनी लंबी है कि यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिलना बेहद मुश्किल हो गया है।05284 आनंद विहार टर्मिनल–मुजफ्फरपुर फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन स्लीपर क्लास वेटिंग16 अक्टूबर: 58 19 अक्टूबर: 111 23 अक्टूबर: 69 ...

Bokaro: स्टील प्लांट में फिर टला बड़ा हादसा, SMS-1 में पिघला लोहा गिरा, बाल-बाल बचे कर्मचारी

Bokaro: स्टील प्लांट में एक बार फिर बड़ा हादसा होते-होते टल गया। जानकारी के अनुसार स्टील मेल्टिंग शॉप-1 (SMS-1) में बी शिफ्ट के दौरान लिक्विड हॉट मेटल (पिघला हुआ लोहा) गिर गया। यह हादसा उस वक्त हुआ जब लेडल के जरिए फर्नेस में गर्म पिघला लोहा ट्रांसफर किया जा रहा था। उसी दौरान लेडल में पंक्चर हो गया, जिससे लोहा नीचे गिर पड़ा। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने एक बार फिर प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बाल-बाल बचे कर्मचारी : घटना के तुरंत बाद लेडल को मरम्मत के लिए भेजा गया है। हालांकि किसी...

केंद्र सरकार का बड़ा कदम: अब हर लिक्विड दवा की होगी सख्त जांच, 0.10% से ज्यादा नहीं होगा “डायथाइलीन ग्लायकोल

राजस्थान-मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने सभी लिक्विड दवाओं में डायथाइलीन ग्लायकोल की मात्रा 0.10% से अधिक न होने का मानक तय किया।


केंद्र सरकार का बड़ा कदम रांची : राजस्थान और मध्यप्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामलों के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। दवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी बढ़ाने के लिए इंडिया फार्माकोपिया 2022 में संशोधन किया गया है। अब देशभर में बनने वाली सभी लिक्विड दवाओं में “डायथाइलीन ग्लायकोल” और “एथिलीन ग्लायकोल” की मात्रा की जांच करना अनिवार्य होगा।

केंद्र सरकार का बड़ा कदम:

इंडियन फार्माकोपिया कमीशन (IPC) ने सभी राज्यों के औषधि निदेशालय को निर्देश जारी किए हैं कि अब लिक्विड दवाओं के हर बैच की क्रोमैटोग्राफी जांच अनिवार्य रूप से कराई जाए। इसमें इन रसायनों की अधिकतम सीमा 0.10% तय की गई है। इससे अधिक मात्रा मिलने पर दवा को असुरक्षित माना जाएगा और बाजार में वितरण रोक दिया जाएगा।


Key Highlights:

  • राजस्थान और मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने लिया बड़ा कदम।

  • सभी लिक्विड दवाओं में अब “डायथाइलीन ग्लायकोल” और “एथिलीन ग्लायकोल” की जांच अनिवार्य।

  • इंडिया फार्माकोपिया 2022 में संशोधन, तय की गई सीमा: 0.10% से अधिक नहीं।

  • जांच के लिए अब क्रोमैटोग्राफी तकनीक अपनायी जाएगी।

  • सरकारी अस्पतालों में वितरण से पहले सभी लिक्विड दवाओं की होगी टेस्टिंग।

  • झारखंड को राहत: यहां लिक्विड दवाओं का निर्माण नहीं, केवल ऑक्सीजन और टिंक्चर कंपनियां हैं।


केंद्र सरकार का बड़ा कदम:

पहले इंडिया फार्माकोपिया 2022 में इस जांच का प्रावधान नहीं था। इसी कमी के कारण कुछ राज्यों में लिक्विड दवाओं में रासायनिक असंतुलन पाया गया था, जिसके चलते कई बच्चों की मौत हुई। जांच के बाद पता चला कि कुछ सिरप में “डायथाइलीन ग्लायकोल” और “एथिलीन ग्लायकोल” की मात्रा नियमानुसार सीमा से कई गुना अधिक थी।

नए नियम लागू होने के बाद, अब किसी भी लिक्विड दवा को सरकारी अस्पतालों में वितरण से पहले जांच पास करनी होगी। इसके अलावा, दवाओं के रॉ मटेरियल से लेकर तैयार प्रोडक्ट तक निगरानी की व्यवस्था अनिवार्य होगी। दवा कंपनियों को अपने परिसर में प्रमाणित लैब स्थापित करनी होगी, जहां प्रत्येक बैच की जांच रिपोर्ट सुरक्षित रखनी होगी।

केंद्र सरकार का बड़ा कदम:

झारखंड के लिए थोड़ी राहत की खबर यह है कि यहां लिक्विड दवाओं का उत्पादन नहीं होता। राज्य में कुछ कंपनियां केवल ऑक्सीजन और टिंक्चर बनाती हैं। इसलिए फिलहाल इन नियमों का असर राज्य के भीतर दवा निर्माण पर कम पड़ेगा, लेकिन अन्य राज्यों से आने वाली दवाओं की सैंपल जांच अब अनिवार्य होगी।

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