झारखंड हाइकोर्ट ने पेसा नियमावली लागू करने में देरी पर राज्य सरकार से जवाब मांगा। बालू घाटों और लघु खनिजों पर लगी रोक जारी, अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
Jharkhand High Court ने PESA Rules रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA Act) के तहत नियमावली लागू करने में देरी पर दाखिल अवमानना याचिका की सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने बताया कि पेसा नियमावली का संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर सभी संबंधित विभागों के सुझावों को शामिल करते हुए इसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि कैबिनेट के निर्णय की जानकारी अदालत को दी जाए।
Jharkhand High Court ने PESA Rules
खंडपीठ ने राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 13 नवंबर तय की। साथ ही, राज्य में लघु खनिजों और बालू घाटों के आवंटन पर लगी रोक (अंतरिम आदेश) को अगले आदेश तक जारी रखने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव भी उपस्थित रहे।
Key Highlights:
- झारखंड हाइकोर्ट ने पेसा नियमावली लागू करने से जुड़ी अवमानना याचिका पर की सुनवाई
- राज्य सरकार ने बताया – संशोधित ड्राफ्ट कैबिनेट की स्वीकृति हेतु भेजा गया
- कोर्ट ने कहा – कैबिनेट के निर्णय की जानकारी अगली सुनवाई में दें
- बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर लगी रोक जारी रहेगी
- अगली सुनवाई की तिथि 13 नवंबर निर्धारित
Jharkhand High Court ने PESA Rules: क्या है मामला
वर्ष 1996 में केंद्र सरकार ने PESA कानून लागू किया था, जिसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना था। हालांकि, एकीकृत बिहार से लेकर झारखंड के गठन तक इस कानून के तहत नियमावली तैयार नहीं की गई।
वर्ष 2019 और 2023 में नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया गया, लेकिन लागू नहीं किया गया। इसके बाद एक जनहित याचिका दायर की गई थी। 29 जुलाई 2024 को हाइकोर्ट ने इस याचिका पर आदेश देते हुए राज्य सरकार को दो माह के भीतर पेसा नियमावली लागू करने का निर्देश दिया था।
Highlights
 























 














