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रांची : पलायन की फांस से मिली मुक्ति- झारखंड सरकार की पहल पर श्रीलंका में
फंसे 19 श्रमिकों की सकुशल वतन वापसी हुई है.
ये सभी श्रमिक गिरिडीह और हजारीबाग जिले से हैं.
फरवरी महीने में ये कांट्रेक्टर के माध्यम से श्रीलंका पहुंचे थे.
वहां पावर प्लांट में काम के लिए ले जाया गया था.
लेकिन वहां जाने के बाद कांट्रेक्टर ने इनके साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया था,
रहने खाने और 25 हजार रुपए महीने वेतन के कमिटमेंट पर इन लोगों को वहां ले जाया गया था. लेकिन वहां न मजदूरी दिया जाता था और न ही खाने पीने के लिए कुछ दिया जाता था. कुछ मजदूरों ने बताया कई दिनों तक भूखे रहना पड़ा. उसके बाद कच्चा कटहल खा कर गुजारा किया. उसके बाद राज्य सरकार और इंडियन एंबेसी के सहयोग से आज झारखंड लौटे हैं. राज्य सरकार को जब इन्होंने जानकारी दिया तो राज्य सरकार की पहल पर इन लोगों को पूरी मजदूरी मिली और उसके बाद इनकी वतन वापसी हुई.
वतन वापसी की गुहार सोशल मीडिया पर लगाई
आपको बता दें कि सभी मजदूरों ने कल्पतरू ट्रांसमिशन कंपनी की ओर से पिछले दो महीने का वेतन भुगतान नहीं करने की बात सोशल मीडिया के जरिए बताई. मजदूरों का कहना है कि यहां भोजन की समस्या हो गयी है. कंपनी ने सभी मजदूरों का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है. मजदूरों ने बताया कि स्थानीय ठेकेदार के माध्यम से फरवरी माह में काम करने गये थे, जहां कंपनी ने दो माह की मजदूरी रख ली है. वेतन की मांग करने पर कंपनी से संतुष्ट जवाब नहीं मिल पा रहा है. मजदूरों ने भारत सरकार और झारखंड के मुख्यमंत्री से वतन वापसी की गुहार लगाई है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिया संज्ञान
फंसे मजदूरों में सरिया प्रखंड के चिचाकी के तिलक महतो, राजेश महतो शामिल हैं. महेश महतो टिगरा डूमरी के रहने वाले हैं. धनबाद जिले के मनोज कुमार गोमो के रहने वाले हैं. साथ ही नागेश्वर महतो, देवेन्द्र महतो गांव भलुवा हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ के रहने वाले हैं.
रिपोर्ट: मदन सिंह