Cycle girl- घोषणावीरों ने नहीं निभाया अपना वादा, अब सरकार से मदद की गुहार लगा रही ज्योति पासवान

Darbhanga– कोरोना संक्रमण के कारण लगाये गये लॉकडाउन के दौरान जब सरकार की ओर से यातायात के सारे साधनों को बंद कर दिया गया था, लोग सड़क पर बदहवास भागते नजर आ रहे थें. तब अपने वृद्ध पिता को साइकिल के कैरियर पर बैठाकर हरियाणा के गुरुग्राम से दरभंगा के बीच की करीबन 1300 किलोमीटर की दूरी को मात्र 8 दिन में पूरा करने वाली 15 वर्षीय ज्योति आज फाकाकशी की शिकार है.

तब सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव में रहने वाली इस ज्योति पासवान की सराहना पूरे देश-विदेश में हुई थी. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ज्योति के इस हौसले को सराहा था. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने भी ट्विटर पर ज्योति की तस्वीर डालकर तारीफ की थी. ज्योति की गरीबी को देखकर तब कई लोगों ने ज्योति को आर्थिक मदद का वादा किया था. कई नेताओं ने पढ़ाई-लिखाई से लेकर ज्योति की शादी का खर्च उठाने का भी भरोसा दिलाया था.  अब वही ज्योति फाकाकशी की शिकार है और  सरकार से एक अदद नौकरी की मांग कर रही है.

साइकिल गर्ल की पीड़ा , जिन्होने किया था वादा, अब नहीं उठाते फोन

महज दो वर्ष में ही ज्योति फिर से वहीं आ पहुंची, जहां से उसने अपने की सफर की शुरुआत की थी. ज्योति की माने तो कुछ लोगों ने चन्द पैसे जरुर दिये थें, कुछ ने . पढ़ाई-लिखाई और शादी  का भरोसा भी दिलाया था. लेकिन अब सब अपने वादे से मुकर गये, ज्यादातर लोग तो अब फोन भी नहीं उठाते और जो फोन उठाते भी हैं, वह पहचानने से इनकार कर देते हैं. इस बीच ज्योति के सर से उस पिता का साया भी उठ गया जिसे अपने साइकिल के कैरियर पर बैठाकर उसके 1300 किलोमीटर की दूरी तय की थी.

पूरा परिवार गुजर रहा है आर्थिक संकट से

बेहद टूटे आवाज में ज्योति बताती है कि मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद इंटर में नाम लिखाने के लिए किसी ने मदद नहीं की. खुद किसी तरह रुपये का इंतजाम कर नामांकन कराया. अब उन्हें अपने परीक्षा फॉर्म भरने की चिंता सताए जा रही है. फिलहाल कोई आमदनी नहीं होने के कारण कुछ पैसे उनके रिश्तेदार देते हैं, दो वर्षो में उनके जीवन में कुछ बदलाव नहीं आया.   ज्योति की मां फूलो देवी ने  बताया कि पूरा परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. मात्र 2800 रुपये उन्हें आगनबाड़ी केंद्र से हर महीने मिलता है. जैसे-तैसे घर चला रही है. दूसरी बेटी प्राइवेट फैक्ट्री में काम कर रही है. बस किसी तरह जीवन चल रहा है.

रिपोर्ट- रवि झा

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