Tuesday, September 9, 2025

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झारखंड के राजनीतिक आसमान पर छाए बादल कैसे?

रांची : राजधानी रांची के आसमान सा झारखंड की राजनीति के आसमान पर भी घने बादल छाए हैं.

इन घने बादलों के दरमियान सारे दृश्य थोड़े धुंधले नजर आ रहे हैं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन माइनिंग लीज मामले में भारतीय निर्वाचन आयोग

क्या फैसला लेगा ये पुख्ता तौर पर तो अभी तक किसी को पता नहीं

पर इसे लेकर राजनीतिक दलों के बीच अकुलाहट जरूर है.

और शायद इसी लिए अटकलों का दौर भी जारी है.

सीएम आवास पर यूपीए की बैठक

इन सब के बीच सत्ताधारी गठबंधन यानी कि जेएमएम, कांग्रेस और राजद की

शनिवार को हो रही बैठक ने झारखंड में चल रही कयासबाजी को और तेज कर दिया है.

इन सब को लेकर मचे शोर के बीच सत्ता और विपक्ष के बीच एक अजब सा सन्नाटा पसरा है.

क्या ये किसी तूफ़ान के पहले की शांति है? पता नहीं, पर हां इस सन्नाटे के बीच भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे के ट्वीट्स झारखंड की राजनीति में कोलाहल अवश्य मचा दे रहे हैं. खास कर ईडी के छापों के साथ शुरू हुए उनके ट्वीट्स चर्चा में है.

निशिकांत के ट्वीट्स से झारखंड में तल्ख हो रही राजनीति

जेएमएम और सोरेन परिवार के लिए उनके चुभते ट्वीट्स झारखंड में तल्ख हो रही राजनीति को इंगित कर रहा है. बीच-बीच में जवाब और सियासी हमला सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से भी आ रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को जेएमएम के प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के केंद्रीय महासचिव और वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुजरात के बिलकिस बानो के गुनहगारों की रिहाई पर ग़ुस्सा ज़ाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लिया.

उठ रहे कई सवाल

ये स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. पर सोंचने वाली बात ये है कि बिलकिस के गुनाहगार तो 15 अगस्त को छोड़े गए थे. उस लिहाज से देखें तो इस विषय के लिए अपनी राय उसके अगले दिन यानी 16 अगस्त को रखी जा सकती थी. लेकिन इसे लेकर जेएमएम का प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ 19 अगस्त को. ये तीन दिन का इंतज़ार क्यों ? तीन दिन बाद उस विषय पर भाजपा पर हमलावर होना कहीं कुछ और तो इशारा नही कर रहा?

कांग्रेस विधायकों को दिया गया ये निर्देश

इधर कांग्रेस के विधायकों के लिए भी ये कहा जा रहा है कि उन्हें रांची छोड़ने से मना किया गया है. और अगर वो रांची छोड़ते हैं तो उन्हें इतनी दूरी तक जाने की ही इजाज़त है. जिसमें वो चार घंटे में रांची पहुंच सके. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम दिल्ली क्यों गए? इस पर भी अनुमान लगाया जा रहा है.

झारखंड के राजनीतिक आसमान पर छाए बादल

कुल मिलाकर देखें तो झारखंड की वर्तमान राजनीतिक स्थिति मौसम सी हो गई है, कब क्या हो जाए पता नहीं. झारखंड के राजनीतिक आसमान पर छाए बादल कैसे हैं? क्या ये सिर्फ गरजने वाले हैं या ये बरसने वाले हैं? ये बादल सरकार के लिए क्या संकट के बादल हैं? क्या भाजपा इन बादलों में अपने लिए सिल्वर लाइनिंग ढूंढ रही है? ये सारे सवाल फिलवक्त अनुत्तरित हैं.

पर जहां तक जनता की बात है तो वो इन अनिश्चित बादलों के हटने की प्रतीक्षा में है. उन्हें लगता है बादल हटेंगे और उन्हें वो इंद्रधनुष दिखेगा जो अपने खूबसूरत रंगों से झारखंड की किस्मत को रंग देगा.

आलेख: राकेश रंजन कटरियार

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