Tuesday, September 9, 2025

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राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लोबिन हेंब्रम की अगुवाई में ‘झारखंड बचाव मोर्चा’ का सम्मेलन

रांची : झारखंड बचाव मोर्चा के मुख्य संयोजक लोबिन हेंब्रम की अगुवाई में रविवार को बैठक आयोजित की गई है.

ये बैठक राज्य में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच होने जा रही है.

लिहाज़ा, इस बैठक पर सबकी निगाहें हैं. रांची के पुराने विधानसभा परिसर में आयोजित कार्यक्रम में

पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव भी मौजूद रहेंगी. प्रमंडल स्तरीय इस बैठक में सैंकड़ों की संख्या में

आदिवासी-मूलवासी और सामाजिक संगठनों के लोग शामिल होंगे. इससे पहले ये सम्मेलन चाईबासा में हो चुका है.

राजनीतिक उथल-पुथल: 1932 खतियान लागू करने की है मांग

झारखंड बचाव मोर्चा के मुख्य संयोजक लोबिन हेंब्रम सत्ताधारी दल झामुमो के विधायक भी हैं.

लोबिन शुरू से 1932 आधारित स्थानीय नीति बनाने की मांग करते रहे हैं.

बाहरी भाषाओं का विरोध और क्षेत्रिय एवं जनजातीय भाषाओं के समर्थन में लोबिन खड़े रहे हैं.

विधानसभा के एकदिवसीय सत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी 1932 की बुनियाद पर स्थानीय नीति को लेकर

आगे बढ़ने की बात कह चुके हैं. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि, झारखंड बचाव मोर्चा क्या स्थानीय नीति को लेकर कोई प्रस्ताव पारित करता है.

झारखंड बचाव मोर्चा का झामुमो से मिलता-जुलता विषय

झामुमो खुद को जल, जंगल, ज़मीन वाली पार्टी कहती है. खुद को आंदोलन से उपज वाली पार्टी कहती है. आदिवासी-मूलवासी के साथ खड़ी होने वाली पार्टी कहती है. पार्टी के संविधान में 1932 का ज़िक्र है. ऐसे में झारखंड बचाव मोर्चा का विषय भी झामुमो से बेहद क़रीब है. मोर्चा भी 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने की मांग करती है. राज्य के संसाधनों में पहला हक़ यहां के लोगों का मानती है. बाहरी भाषाओं का विरोध करती है. ऐसे में साफ है कि, मोर्चा झामुमो को चुनौती देती हुई नज़र आ रही है.

राजनीतिक उथल-पुथल: रिजार्ट पालिटिक्स के खिलाफ हैं लोबिन

झारखंड में जारी राजनीतिक अस्थिरता के वातावरण के बीच पिकनिक और रिजार्ट पालिटिक्स जारी हैं. यूपीए फोल्डर के विधायकों को कुछ दिनों के लिए रायपुर स्थित एक रिजार्ट में भी रखा गया. हालांकि, झामुमो विधायक होने के बावजूद लोबिन हेंब्रम ने रायपुर जाने से इनकार कर दिया. पिछले दिनों न्यूज बाइस्कोप से बात करते हुए उन्होने कहा कि, वे अपने क्षेत्र में रहना ज़रूरी समझते हैं. लोगों के साथ खड़े होने पर सरकार सुरक्षित रहेगी. लोगों के दुख-दर्द के साथ सरकार को होना चाहिए.

रिपोर्ट : शाहनवाज़

दाखिल-खारिज संशोधन विधयेक पर गरमाई राजनीति

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