रांची के 19 बालू घाट 8 साल बाद निजी हाथों में जाएंगे। 18 सितंबर को ई-ऑक्शन और 15 अक्टूबर से उत्खनन शुरू होगा। बालू की कीमत 25% घटने की उम्मीद।
रांची: सहित झारखंड में आठ वर्षों के बाद बालू घाट निजी हाथों में जाने वाले हैं। नई बालू नीति के तहत सभी घाटों को ग्रुप में बांटकर ई-ऑक्शन कराया जा रहा है। रांची जिले के 19 घाटों को तीन ग्रुप में विभाजित किया गया है। इनकी कीमत प्रशासन ने रिजर्व प्राइस तय कर दी है। सबसे महंगा ग्रुप बी का इरकिया, सुमानडीह और सुतिलौंग घाट है, जिसका रिजर्व प्राइस 32.74 करोड़ रुपये रखा गया है। वहीं सबसे सस्ता लपरा घाट है, जिसका रिजर्व प्राइस केवल 83.77 लाख रुपये है।
हालांकि नीलामी प्रक्रिया 18 सितंबर को पूरी हो जाएगी, लेकिन एनजीटी की रोक के कारण 15 अक्टूबर से पहले बालू उत्खनन संभव नहीं होगा।
Key Highlights
8 साल बाद निजी हाथों में जाएंगे रांची के 19 बालू घाट
32.74 करोड़ का इरकिया-सुमानडीह सबसे महंगा, 83.77 लाख का लपरा सबसे सस्ता
ई-ऑक्शन 18 सितंबर को, उत्खनन 15 अक्टूबर से संभव
बालू की कीमत 25% तक घटने की संभावना
कैसे कम होगी बालू की कीमत
अब तक जेएसएमडीसी के माध्यम से ऑनलाइन बुकिंग से बालू की बिक्री होती थी, जिसका फायदा ब्रोकर उठा रहे थे। वे 100 सीएफटी बालू 5000–5500 रुपये में बेच रहे थे। लेकिन निजी हाथों में जाने और उत्खनन बढ़ने से बालू की उपलब्धता आसान होगी। प्रशासन का अनुमान है कि कीमत में 25 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
ग्रुपवार घाटों का ब्योरा
ग्रुप ए : लोवाहातू-चुरगी, चिलूटिकर-सारजमडीह, अनेरडीह, करांबू, पंगूरा-बारीडीह, तुंजू
ग्रुप बी : इरकिया-सुमानडीह, सुतिलौंग-बादला, गोमियाडीह-हराडीह-दारूअरा, सोमाडीह
ग्रुप सी : श्यामनगर-बारीडीह, कारेयाडीह-इचाहातू, बसंतपुर, श्यामनगर, चोकेसेरेंग, डुमरबेड़ा, सुंडील, लपरा, चुरी-राय
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