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Friday, March 29, 2024

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- पराली प्रबंधन सभी की साझा जिम्मेदारी

NEW DELHI: कृषि मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कहा – राज्‍यों को

उपलब्‍ध कराई गई दो लाख सात हजार मशीनों के समुचित

उपयोग से पराली जलाने की समस्‍या से निपटा जा सकता है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पराली प्रबंधन

सभी की साझा जिम्मेदारी है. सभी पक्षों को मिलकर

इस समस्या का समाधान करना होगा. नई दिल्ली में

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एक कार्यक्रम में

कृषिमंत्री ने कहा कि प्रदूषण से बचाव के लिए धान की

पराली का समुचित प्रबंधन सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा,

उत्‍तर प्रदेश और दिल्ली को पराली प्रबंधन के लिए

तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय सहायता प्रदान की है.
इसमें सबसे ज्यादा लगभग 14 हज़ार पांच सौ करोड़ रुपये पंजाब को दिए गए हैं. हरियाणा को नौ सौ करोड़ रुपये, जबकि उत्तर प्रदेश को 713 करोड़ और दिल्ली को 6 करोड़ रुपये दिए गए हैं. कृषिमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा उपलब्ध कराई गई दो लाख सात हजार मशीनों का इस्तेमाल कर ये राज्य पराली समस्या से अच्छी तरह से निपट सकते हैं.

वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का बयान

राज्यों से पराली समस्या से प्रभावित जिलों के कलेक्टरों और दूसरे अधिकारियों को पराली जलने पर जवाबदेह बनाने का सुझाव दिया. इस बीच, वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यों से कहा कि पराली की समस्या से निपटने से उन्हें कई विकल्प दिए गए हैं. तत्काल सभी को इसके लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए. राज्यों के साथ ही पराली संकट पर बुलाई इस उच्चस्तरीय बैठक में कृषि मंत्रालय और बिजली मंत्रालय ने इसे लेकर उठाए गए कदम की एक ब्योरा भी पेश किया.

कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले चार सालों में पराली की समस्या से निपटने के लिए किसानों को 2.07 लाख मशीनें दी गई हैं. इसमें इस साल करीब 47 हजार नई मशीनें दी गई हैं। ऐसे में सभी का प्रभावी इस्तेमाल सुनिश्चित होना चाहिए. राज्यों को इस साल करीब छह सौ करोड़ की वित्तीय मदद मुहैया कराई गई है, जबकि पिछले चार सालों में दी गई राशि में करीब नौ सौ करोड़ अभी भी राज्यों के पास उपलब्ध हैं. ऐसे में राज्यों को सभी प्रभावी कदम उठाने चाहिए. राज्यों से डी-कंपोजर का इस्तेमाल बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई. बैठक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भी अधिकारी मौजूद थे.

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