नई दिल्ली: दिल्ली के संसद भवन स्थित एनएससी हॉल में बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में देश की राजनीतिक ताकतें एक मंच पर आईं। इस बैठक का मकसद था हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा अंजाम दिए गए सफल ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा करना और आगे की रणनीति पर विपक्ष को भरोसे में लेना।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में मौजूद सभी दलों को ऑपरेशन सिंदूर के विवरण से अवगत कराया। गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सरकार की तरफ से बैठक में मौजूद रहे। वहीं विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, एनसीपी की सुप्रिया सुले, शिवसेना के संजय राउत और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह समेत प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक की शुरुआत में ही सभी दलों ने भारतीय सेना के पराक्रम की खुले दिल से सराहना की। राहुल गांधी ने सुरक्षा के मद्देनजर कांग्रेस शासित सीमावर्ती राज्यों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी, जबकि आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सीमाओं पर हालात पर विशेष नजर रखने का सुझाव दिया।
कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति की मांग फिर दोहराई गई, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ही पूरे ऑपरेशन की ब्रीफिंग देंगे और यही परंपरा रही है। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार एनएसए अजीत डोभाल और सेना प्रमुखों से स्थिति की रिपोर्ट ले रहे हैं और रणनीतिक स्तर पर सक्रिय हैं।
बैठक के दौरान गृह मंत्रालय ने आंतरिक सुरक्षा के मसलों पर दलों को भरोसे में लिया और आगे के संभावित कदमों पर चर्चा की। सरकार ने विपक्ष से आह्वान किया कि देश की सुरक्षा से जुड़े इस नाजुक वक्त में एकजुटता का संदेश जाए और आंतरिक राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार रखा जाए।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बैठक पहलगाम हमले के बाद हुई पिछली सर्वदलीय बैठक से अधिक निर्णायक रही। इस बार विपक्ष के अंदरूनी स्वर भी संयमित दिखे। हालांकि, कांग्रेस में जिग्नेश मेवाणी और अजय राय जैसे नेताओं की अलग-अलग टिप्पणियों पर शीर्ष नेतृत्व ने सख्त रुख अपनाया और स्पष्ट किया कि सेना के शौर्य पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जाएगा।
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि ऑपरेशन सिंदूर 2.0 की संभावना को लेकर सरकार सभी विकल्प खुले रखे हुए है और सीमा पर हालात पर सतत नजर बनाए हुए है।
कुल मिलाकर, यह बैठक विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच सहमति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर पूर्ण समर्थन के मजबूत संदेश के साथ समाप्त हुई।