भागलपुर : भागलपुर जिले के नवगछिया के गोपालपुर में गंगा ने सोमवार की देर शाम जबरदस्त तबाही मचाई है। लाखों की आबादी की सुरक्षा का बांध का 80 प्रतिशत तक हिस्सा ध्वस्त हो गया है। जिस बांध पर हर वर्ष करोड़ों खर्च किए गए वह बांध लगातार दूसरे साल ध्वस्त हुआ है। हालात पूरी तरह भयावह है। बांध पर बने कई फूस के घर गंगा में समा गए। यहां पर रह रहे हजारों की आबादी पलायन कर रही है। बाढ़ को देखते हुए अधिकारियों के द्वारा पीड़ितों का घर खाली कराया जा रहा है।
बांध टूटते ही अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं
फिलहाल, बांध टूटते ही अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं। क्योंकि यह बांध पूरी तरह टूटता है तो फिर से एक बार लाखों की आबादी प्रभावित होगी। गोपालपुर प्रखंड और रंगरा प्रखंड का बड़ा भूभाग प्रभावित होगा, करोड़ों का नुकसान होगा। पिछले साल इस बांध का के स्पर संख्या-7 और आठ के बीच का हिस्सा ध्वस्त हुआ था। इस बार आठ से नौ के बीच का हिस्सा ध्वस्त हुआ है। पिछले वर्ष ध्वस्त हुए हिस्से को इस वर्ष 38 करोड़ रुपए की लागत से दुरुस्त कराया गया था।
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‘हर वर्ष इस बांध पर करोड़ों फूंके जाते हैं, सवाल है कि आखिर वह पैसे कहां चले जाते हैं’
आपको बता दें कि हर वर्ष इस बांध पर करोड़ों फूंके जाते हैं लेकिन सवाल है कि आखिर वह पैसे कहां चले जाते हैं। अब अगर बांध टूटा है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, जवाबदेही तय होनी चाहिए। जल संसाधन विभाग को लूट का अड्डा बताया जाता है। कल भी गोपालपुर विधानसभा के ही विधायक गोपाल मंडल ने कहा था कि जल संसाधन विभाग लूटती है, आज उदाहरण सामने है।
जहां चलती थी गाड़ी वहां चल रही नाव, तिलकामांझी विश्वविद्यालय में बाढ़ का पानी घुसने से शैक्षणिक व्यवस्था ठप
भागलपुर में बाढ़ से हालात बेहाल है। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। ऐसे में निचले इलाकों के बाद अब शहरी क्षेत्र में भी गंगा ने तबाही मचा दी है। भागलपुर के तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिससे प्रशासनिक भवन सीनेट हॉल में बाढ़ का पानी कमर भर गया। ऐसे में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था तो ठप है। लेकिन कर्मचारियों को जद्दोजहद कर नाव के सहारे विश्वविद्यालय पहुंचना पड़ रहा है। छात्र भी माइग्रेशन सर्टिफिकेट व अन्य काम को लेकर नाव के सारे विश्वविद्यालय पहुंच रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बाढ़ को देखते हुए चार छोटे नाव की व्यवस्था की है।
हर साल यहां बाढ़ आता है और हमें नाव की मदद से विश्वविद्यालय पहुंचना पड़ता है – कर्मचारी
कर्मचारियों का कहना है कि हर साल यहां बाढ़ आता है और हमें नाव की मदद से विश्वविद्यालय पहुंचना पड़ता है। मन में डर भी काफी रहता है। क्योंकि इस पानी में जहरीले जीव जंतु भी है। ऐसे में जान का खतरा भी बना रहता है। लेकिन काम रुकना नहीं चाहिए। इस वजह से हम लोग परेशानियों के बीच भी पहुंच रहे हैं। बिहार सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और अस्थाई तौर पर इसका निदान निकालना जरूरी है।
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राजीव ठाकुर की रिपोर्ट
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