ईटानगर: Arunachal Assembly Election – प्रचंड बहुमत के साथ अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में फिर से भाजपा सरकार बनने जा रही है। साथ ही बतौर सीएम पेमा खांडू की यह हैट्रिक है। पूर्व मुख्यंमत्री दिवंगत दोरजी खांडू के बेटे पेमा खांडू राज्य में दो बार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अब तीसरी बार मिली जीत के साथ ही खांडू तीसरी बार सत्ता का सिंहासन संभालेंगे। अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती पूरी होने के बाद चुनाव आयोग से जारी ब्योरे के मुताबिक, अरुणाचल के विधानसभा चुनाव नतीजों में भाजपा को बंपर बहुमत मिला है और पार्टी ने 46 सीटों पर जीत दर्ज की है। देश के सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का प्रदर्शन यहां काफी निराशाजनक रहा और पार्टी राज्य में महज एक सीट ही जीत सकी।
अरुणाचल में निर्दलियों से भी पिछड़ गई कांग्रेस
अरुणाचल प्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रही है, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और पार्टी निर्दलीय उम्मीदवारों से भी पिछड़ गई है। राज्य की सभी 60 विधानसभा सीटों में से भाजपा 46 सीटों पर तो एनपीपी 5, एनसीपी 3, पीपीए 2, कांग्रेस एक और निर्दलीय तीन सीटों पर विजयी रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश की बामेंग विधानसभा सीट ही राज्य की इकलौती सीट है, जिस पर कांग्रेस उम्मीदवार कुमार वाई आगे रहे। हालांकि भाजपा उम्मीदवार दोबा लामनियो भी बहुत पीछे नहीं रहे। चांगलांग उत्तर सीट से भाजपा के तेसाम पोंगते 2002 सीटों से जीत गए हैं। पोंगते ने एनपीपी के दिहोम कितनया को हराया। वहीं चांगलांग दक्षिण सीट से भाजपा के हामजोंग तांघा ने जीत दर्ज की। तांघा ने 1482 वोटों से एनपीपी के तिंपु नेमु को हराया।
अरुणाचल में पेमा खांडू खिलाया कमल, विरासत में मिली है राजनीति
अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को लगातार दूसरी बार सत्ता में लाने वाले और प्रदेश में फिर कमल खिलाने वाले सीएम पेमा खांडू को राजनीति विरासत में ही मिली है। उनके पिता दोरजी खांडू अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2005 में पेमा खांडू राजनीति में कदम रख दिया था, जब उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन, उनके असल सियासी सफर की शुरुआत तब हुई जब उनके पिता दोरजी खांडू का हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया। दोरजी खांडू 2007 से 2011 तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके बाद पेमा खांडू ने वर्ष 2011 में अपने ही पिता के विधानसभा क्षेत्र मुक्तो से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। उसके बाद पेमा खांडू को अरुणाचल प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। वर्ष 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी के नेतृत्व वाली सरकार में पेमा खांडू को शहरी विकास मंत्री नियुक्त किया गया। तभी उनके राजनीतिक जीवन में बड़ा मोड़ आया।
अरुणाचली सियासत में नया इतिहास बनाने वाले पेमा खांडू ने सियासी चोले भी बदले
वर्ष 2014 में पेमा खांडू ने असंतुष्ट नेता कलिखो पुल का साथ देते हुए मंत्री पद छोड़ दिया। इस वजह से तुकी के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा। 16 जुलाई 2016 को पेमा खांडू को नबाम तुकी की जगह कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया। फिर 17 जुलाई 2016 को खांडू ने महज 37 वर्ष की उम्र में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। इसके ठीक दो महीने बाद ही अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 43 विधायकों ने बगावत कर दी। खांडू के नेतृत्व में सभी विधायक भाजपा की सहयोगी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) में शामिल हो गए। हालांकि, बाद में पीपीए ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया और खांडू के साथ कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में जीत हासिल की और पेमा खांडू मुख्यमंत्री बन गए।
एकनजर में सीएम पेमा खांडू का करियर
पेमा खांडू भारत के सबसे युवा मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 37 साल की आयु में मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। खांडू के पहले अखिलेश यादव ही भारत के सबसे कम आयु वाले मुख्यमंत्री थे। अखिलेश ने 38 वर्ष की उम्र में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली थी। सीएम पेमा खांडू का जन्म 21 अगस्त, 1979 को तवांग में हुआ था। चीन की सीमा से सटे तवांग जिले के ग्यांगखर गांव से ताल्लुक रखने वाले पेमा खांडू मोनपा जनजाति से आते हैं। उन्होंने तवांग के बोम्बा में सरकारी माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वर्ष 2000 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक की उपाधि हासिल की। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। सीएम पेमा खांडू खेलों के शौकीन हैं। फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन और वॉलीबॉल जैसे खेलों में उनकी बड़ी दिलचस्पी है। उन्होंने राजनीति में आने के बाद खेलों को बढ़ावा देने के लिए खूब प्रयास किए।