नई दिल्ली : बॉलीवुड की जानमानी अभिनेत्री आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है.
30 सितंबर को इस अवॉर्ड से उनको नवाजा जाएगा.
अब तक हिंदी, बंगाली और साउथ की इंडस्ट्री के कुल 53 दिग्गजों को इस सम्मान से नावाजा जा चुका है.
हालांकि कोरोना के चलते बीते दो साल ये अवॉर्ड किसी को नहीं दिया गया
और इस साल इस सम्मान के लिए आशा पारेख को चुना गया है.
इस अवॉर्ड का ऐलान इसी साल फरवरी में ही कर दिया गया था.
बता दें कि दादा साहेब फाल्के भारतीय सिने जगत के सबसे बड़े सम्मानों में से एक है.
हर साल नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स दिए जाने के दौरान सिने जगत की
किसी एक शख्सियत को इससे नवाजा जाता है.
इस सम्मान में एक स्वर्ण कमल मेडल दिया जाता है, साथ ही एक शॉल भी पहनाई जाती है
और करीब 10 लाख रुपए की राशि भी दिए जाती है.
आशा पारेख: कौन थे दादा साहेब फाल्के?
दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जनक कहा जाता है.
दादा साहेब फाल्के ने देश को उस वक्त पहली फिल्म दी जब ना तो कोई फिल्मों में काम करना चाहता था,
ना ही किसी को कैमरा, स्क्रिप्ट, डायलॉग और बाकी प्रोडक्शन के कामों की जानकारी थी.
ये उस दौर की बात है जब उनकी पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ के लिए कोई हीरोइन नहीं मिली
तो एक रसोइए ने हीरोइन की भूमिका निभाई थी.
भारत को ये पहली फिल्म 1913 में देखने को मिली जिसमें आवाज नहीं थी.
खुद दादा साहेब फाल्के के लिए भी ये फिल्म बनाना आसान नहीं था.
उस दौरान इस फिल्म को बनाने में करीब 15000 रुपए का खर्च आया था और
इस फिल्म को बनाने के लिए दादा साहेब ने पत्नी के गहने तक बेच दिये थे.
देविका रानी को मिला था पहला अवॉर्ड
दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड पहली बार 1969 में फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा
कही जाने वाली देविका रानी को दिया गया था.
इसके बाद से हर साल किसी ऐसे शख्स को ये अवॉर्ड दिया जाता है जिन्होंने सिनेजगत में खास योगदान दिया है. इसके बाद सिने जगत में साल 1971 में पृथ्वी राज कपूर को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
आशा पारेख: इन हस्तियों को मिला है ये अवॉर्ड
इस अवॉर्ड को पाने वालों में म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद (1981), दुर्गा खोटे (1983), सत्यजीत रे (1984), वी शांताराम (1985), राज कपूर (1987), अशोक कुमार (1988), लता मंगेशकर (1989), मजरूह सुल्तानपुरी (1993), दिलीप कुमार (1994), बीआर चोपड़ा (1998), ऋषिकेश मुखर्जी (1999), आशा भोसले (2000), यश चोपड़ा (2001), देव आनंद (2002), श्याम बेनेगल (2005), मन्ना डे (2007), प्राण (2012), गुलजार (2013), शशि कपूर (2014), मनोज कुमार (2015), विनोद खन्ना (2017), अमिताभ बच्चन (2018), रजनीकांत (2019) और अब ये सम्मान आशा पारेख (2022) को दिया जा रहा है.