Tuesday, October 21, 2025
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एशिया कप भारत को सौंपे, BCCI ने मोहसिन नकवी को दी चेतावनी

Desk. एशिया कप 2025 का फाइनल मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच दुबई में 28 सितंबर को खेला गया था, जिसमें सूर्यकुमार यादव की अगुवाई में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया। लेकिन मैच के बाद ट्रॉफी वितरण समारोह में बड़ा विवाद खड़ा हो गया। मैच जीतने के बाद भी भारतीय टीम ने एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के अध्यक्ष मोहसिन नकवी के हाथों ट्रॉफी लेने से साफ इनकार कर दिया। खिलाड़ियों की मांग थी कि ट्रॉफी उन्हें एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) के वाइस चेयरमैन द्वारा सौंपी जाए। लेकिन नकवी इस पर सहमत नहीं...

जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर का बीजेपी पर हमला, उम्मीदवारों को डराने, फुसलाने व गुमराह करने का लगाया आरोप

जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर का बीजेपी पर हमला ,उम्मीदवारों को डराने, फुसलाने और गुमराह करने का लगाया आरोप पटना : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आज पटना के बेली रोड स्थिति शेखपुरा हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए। प्रशांत किशोर ने अपने एक प्रत्याशी मुटुर शाह के साथ अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान के साथ तस्वीर दिखाई और बीजेपी पर हमला बोला।BJP जनता को रीतलाल का डर दिखाती है करती कुछ नहीं - प्रशांत किशोर प्रशांत किशोर ने कहा कि दानापुर से एक सज्जन (रीतलाल यादव) जो चुनाव...

Hazaribagh: दीवाली पर कई घर और दुकानें जलकर खाक, भारी नुकसान, लेकिन जनहानि नहीं

Hazaribagh: रोशनी के पर्व दीवाली की खुशियां जिले के कई इलाकों में उस वक्त मातम में बदल गई, जब बीते 24 घंटों में तीन अलग-अलग स्थानों पर आग लगने की घटनाएं सामने आई। इन घटनाओं में कई घरों और दुकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। हालांकि किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। पहली घटना :  जानकारी के अनुसार पहली घटना शहर के कोर्रा थाना क्षेत्र में हुई, जहां देर रात पटाखों से निकली चिंगारी पास में रखे लकड़ी और कपड़ों में जा गिरी। देखते ही देखते आग ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया। फायर ब्रिगेड की टीम...

Awakening Story : नोएडा में रोजाना 5 हजार कमाता है कूड़ा बीनने वाला युवा

डिजीटल डेस्क : Awakening Storyनोएडा में रोजाना 5 हजार कमाता है कूड़ा बीनने वाला युवा। सोशल मीडिया पर एक युवा की कहानी तेजी से वायरल हो रही है।

यह युवा एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) के नोएडा का है। यह कूड़ा बीनकर रोजाना 5 हजार यानी महीने का डेढ़ लाख रुपये और सालाना 18 लाख रुपये के विशुद्ध नगदी वाले आमदनी के पैकेज का काम कर रहा है।

इसकी कहानी ने लोगों को इतना चौंकाया है कि लोग इसकी कहानी का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चाव से देख रहे हैं।

आईटी प्रोफेशनल से भी ज्यादा कमाई करके चौंकाया

अनकहे ही सोशल मीडिया पर दिन रात एआई और चैट जीपीटी टूल आदि को लेकर कमाई के नित नए साधन तलाशते युवाओं के बीच नोएडा में कूड़ा बीनने वाला युवक अचानक चर्चा और बहस का नया विषय बन गया है।

यानी कुल मिलाकर नोएडा का यह कूड़ा बीनने वाला युवा अच्छी कमाई की चाह रखने वाले युवाओं के लिए कहीं न कहीं चिढ़ का विषय बन गया है जो पूरे सिस्टम पर सवाल उठाने लगे हैं। नोएडा में कबाड़ बटोरने वाला एक शख्स आईटी प्रोफेशनल्स से भी ज्‍यादा कमाता है।

यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है। इस खबर ने भारत में असमानता को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। इसने लोगों को हैरान कर दिया है। कई लोग अपनी नौकरियों और सैलरी पर सवाल उठाने लगे हैं।

कूड़ा बीनने वाले युवा महंगा ई-सिगरेट पीता हुआ मिला, फिर बना वीडियो

बताया जा रहा है कि पूरा वाकया तब खुला जब एक युवक ने कबाड़ बटोरने वाले को एक महंगा ई-सिगरेट पीते हुए देखा। पहले तो उसे लगा कि कबाड़ बटोरने वाला अपनी मासिक कमाई के बारे में बात कर रहा है, लेकिन जब उसे पता चला कि वह रोज इतना कमाता है तो वह हैरान रह गया।

यह वीडियो देखने के बाद बहुत से लोग अपनी सैलरी के बारे में सोच रहे हैं। यह मामला भारत में रोजगार को लेकर लोगों की सोच में आ रहे बदलाव को दर्शाता है। देश में कबाड़ बटोरने जैसा काम करने वाले लोग भी अच्छी कमाई कर रहे हैं जबक‍ि ज्‍यादातर लोग इसे कम पैसों वाला काम मानते हैं।

यह वाकया समाज में काम को देखने के नजरिए और लोगों की मेहनत की कीमत को लेकर सवाल खड़े करती है। बहुत से लोगों ने इस वीडियो से जुड़ाव महसूस किया है। उनका कहना है कि धन के बंटवारे में हमेशा असमानता रहती है। यहां तक कि सफाई सेवाओं जैसी कंपनियों में भी ऐसा होता है।

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

कूड़ा बीनने वाले नोएडा के युवा की वायरल हुई कहानी पर  विशेषज्ञों की भी जानिए राय….

अरुणाचल स्थित राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति और कृषि अर्थशास्त्री प्रो. साकेत कुशवाहा कहते हैं कि यह इस बात का संकेत है कि समाज में काम और वेतन को लेकर लोगों की सोच को बदलने की जरूरत है। खासकर ऐसे देश में जहां शिक्षा का स्तर बेहतर तनख्वाह की गारंटी नहीं देता है।

इसी क्रम में युवा मामलों के विशेषज्ञ वाराणसी के कमलाकर त्रिपाठी बताते हैं कि यह पूरा मामला अभी जेरे-बहस है। ऑनलाइन चर्चा अभी भी जारी है, लेकिन यह साफ है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है। यह भारतीय श्रम बाजार की कहानी है। इस पर और अधिक बहस की जरूरत है। सामने आई इस कहानी के कई आयाम हैं और इसे लोग अभी अपने-अपने रुचि और सोच के अनुसार ले रहे हैं लेकिन आमदनी, मेहनत, स्किल और शिक्षा के पैमाने पर यह कहानी कई नए अहम सवाल करती है जिस पर विशद चर्चा की जरूरत है।

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