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Tuesday, October 3, 2023

Greivance Redressal

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मुख्यमंत्री में नैतिकता बची है तो पद से इस्तीफा दें: बाबूलाल मरांडी

साहेबगंज की जनसभा के पूर्व प्रेसवार्ता में बोले बाबूलाल मरांडी

राज्य के सत्ता संपोषित भ्रष्टाचार ,परिवारवाद और तुष्टिकरण के खिलाफ जनजागरण ही संकल्प यात्रा का उद्देश्य

रांची: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने संकल्प यात्रा के दूसरे दिन आज साहेबगंज में प्रेसवार्ता को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से भ्रष्टाचार और परिवारवाद को समाप्त करने का आह्वान किया है।
कहा कि झारखंड में तो राज्य संपोषित भ्रष्टाचार है। मुख्यमंत्री स्वयं राज्य की खनिज संपदा ,जमीन को लूटने में शामिल हैं। सोरेन परिवार ने आदिवासियों की जमीन नाम बदलकर लूटी है।
कहा कि राज्य के मुखिया ने पदाधिकारियों को लूटने में लगा दिया है। ऑफिसर थाना ,ब्लॉक ,अंचल में गरीबों से काम केलिए पैसे मांगते हैं। पैसों को ऊपर तक पहुंचाने की बात करते है।
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार अवैध खनन को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इसके उगाही के पैसे मुख्यमंत्री के खाते में जाता है जबकि वैध खनन का पैसा सरकार के खजाने में जायेगा।उन्होंने कहा कि परिवारवाद सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सोरेन परिवार की राजनीति पैसे केलिए और कमाने केलिए है राज्य की सेवा केलिए नही इसलिए सोरेन परिवार को डायनेस्टी को राज्य से उखाड़ फेंकने केलिए जनता को संकल्पित होना होगा।

उन्होंने राज्य में व्याप्त तुष्टिकरण को उजागर करते हुए कहा कि राज्य सरकार विधानसभा में नमाज कक्ष खोलती है ,सामान्य विद्यालयों को उर्दू विद्यालय में बदल देने ,प्रार्थना की पद्धति बदल देने पर कारवाई नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की मनोवृति रखने वालों से राज्य का बड़ा नुकसान हो रहा है।

उन्होंने राज्य में ठप्प विकास कार्य पर कहा कि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए गरीबों केलिए अनाज की लूट हो रही। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल जल की स्थिति राज्य में दयनीय है क्योंकि राज्य सरकार को विकास से कुछ भी लेना देना नही है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आदिवासी का रोना रोते हैं लेकिन राज्य को लूटने का पाप करने केलिए किसी को कानून में छूट नही। हेमंत सोरेन को पाप केलिए जेल जाना ही पड़ेगा। उन्हे सत्ता में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।अगर उनमें थोड़ी भी नैतिकता बची है तो वे अपने पद से इस्तीफा दें।

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