रांचीः कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के द्वारा आज प्रेस वार्ता की गई। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि आने वाले 4 फरवरी को आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया जाएगा। यह रैली डी लिस्टिंग महारैली के खिलाफ निकाला जा रहा है। इस बीच प्रेमचंद मुर्मू, आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा और शिवा कच्छप मौजूद रहें।
डी लिस्टिंग महारैली में सरना धर्म कोड की नहीं हुई बात
आगे उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में वोटों को पोलराइज किया गया है। झारखंड में भी चुनाव आने वाला है। सरना कोड को लेकर लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है। जनजाति सुरक्षा मंच की रैली में एक शब्द भी सरना धर्म कोड के बारे में नहीं कहा गया था।
रैली में बाबा कार्तिक उरांव के नाम का गलत इस्तेमाल किया गया था। बाबा कार्तिक उरांव 72 स्कूल चलाते थे। अटल बिहारी के समय उनका अनुदान बंद कर दिया गया। तिर्की ने कहा कि झारखंड में गोडसे और सावरकर की विचारधारा नहीं चलेगी।
नेताओं के द्वारा जमीन वापसी की बात नहीं कही गई
मंच के द्वारा आदिवासियों की जमीन बचाने को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा गया। रैली में किसी भी नेताओं के द्वारा जमीन वापसी की बात नहीं कही गई। डेमोग्राफी की बात करने वाले सिर्फ संथाल की बात करते हैं, राजधानी की क्या हालत है यह किसी से छुपी नहीं है।
ट्राइबल सब प्लान के मद में राशि में कटौती कर दी गई। देश के संविधान में किसी भी धर्म को मानने की आजादी है। कड़िया मुंडा को जनता ने शिखर पर पहुंचाया लेकिन आदिवासी जनता के लिए उन्होंने एक भी काम नहीं किया। संघ का फार्मूला झारखंड में चलाना चाहते हैं।
डीलिस्टिंग रैली के पीछे संघ और भाजपा के लोग शामिल
प्रेमचंद मुर्मू ने कहा आखिर क्रिसमस से एक दिन पहले ही रैली क्यों की गई। कोई व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है यह उसका मौलिक अधिकार है।
आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने अपने बयान में कहा कि आदिवासियों की किसी भी लड़ाई में जनजाति सुरक्षा मंच की कोई भूमिका नहीं रही है। डीलिस्टिंग रैली के पीछे संघ और भाजपा के लोग शामिल थे। इसलिए साफ-साफ बताना चाहता हूं कि ये रैली कांग्रेस की नहीं है बल्कि आदिवासी संगठनों की है।