धनबाद/झरिया : धनबाद कोलांचल क्षेत्र इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है—एक तरफ लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, तो दूसरी तरफ झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में गैस और धुएं का कहर लोगों के लिए जानलेवा बन गया है। बीसीसीएल (Bharat Coking Coal Limited) के कोलियरी क्षेत्र, खासकर झरिया एरिया-नाइन, बाघमारा, कतरास और आसपास की बस्तियों में भूधसान और गैस रिसाव की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
बारिश से जमीन धंसने का खतरा बढ़ गया है, जिससे लोगों के घरों में दरारें आ रही हैं और गैस रिसाव के कारण दम घुटने जैसी स्थिति बन रही है। कई बस्तियों में लोग जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं। विस्थापन नीति के विफल रहने के कारण पीड़ित परिवारों को न तो वैकल्पिक आवास मिल रहा है और न ही आजीविका की कोई ठोस व्यवस्था।
स्थानीय निवासी विजय और अन्य लोगों ने बताया कि सर्वे के दौरान सिर्फ मुखिया को घर मिला, जबकि उनके शादीशुदा बेटों को अब तक आवास नहीं मिला। “डर तो लगता है, लेकिन जाएं तो कहां?”—यह पीड़ा हर उस परिवार की है जो आग, गैस और भूधसान के बीच जिंदगी काट रहा है।
कोलियरी क्षेत्रों में बीसीसीएल का कोयला उत्पादन भी पूरी तरह से ठप हो गया है। बारिश के कारण माइंस में पानी भर गया है। खदानों में खड़ी भारी मशीनें और ट्रक निष्क्रिय पड़े हैं। बीसीसीएल प्रशासन ने पहले से ही हाई अलर्ट जारी किया था, लेकिन जल निकासी व्यवस्था कमजोर रहने के कारण खदानों में पानी भरना नहीं रोका जा सका।
स्थानीय रिपोर्टर मनोज के मुताबिक, विस्थापन की प्रक्रिया जनसंख्या वृद्धि के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही है। कई परिवार जिनका पहले सर्वे नहीं हुआ था, वे अब भी राहत के इंतजार में हैं। दूसरी तरफ बेलगड़िया जैसे पुनर्वास स्थलों में रोजगार और आधारभूत सुविधाओं की कमी से लोग वहां जाने से हिचक रहे हैं।
धनबाद जिले में गुरुवार को झारखंड में सबसे अधिक 78 मिमी बारिश दर्ज की गई। ऐसे में राहत और पुनर्वास की योजनाओं को प्राथमिकता न मिलना सरकारी तंत्र की बड़ी विफलता मानी जा रही है।