आरा : भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) जो रेल मंत्रालय के अधीन एक मिनीरत्न सार्वजनिक उपक्रम है। मनोज कुमार दुबे को अपना नया अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया है। दुबे 1993 बैच के भारतीय रेलवे लेखा सेवा (IRAS) के अधिकारी हैं। दुबे ने गुरुवार को पदभार ग्रहण किया।
यह बिहार के लिए गौरव की बात है कि दुबे को आईआरएफसी का अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया गया है। वह बिहार में भोजपुर जिले के आरा के सलेमपुर गांव के रहने वाले हैं। लंबे समय तक दुबे बिहार में ही रहे हैं। उन्होंने अपनी पहली नौकरी यूटीआई पटना के एक्जिबिशन रोड में की थी। तत्पश्चात् यूपीएससी में चयन होने पर उन्होंने भारतीय रेल लेखा सेवा (आईआरएएस) ज्वाइन की।
इससे पहले दुबे कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) में निदेशक (वित्त) और मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) के रूप में कार्य कर चुके हैं। आईआरएफसी की कमान संभालने पर दुबे ने इसे भारत की प्रगति के लिए एक निर्णायक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक प्रगति के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़ा है और इस प्रतिष्ठित सार्वजनिक उपक्रम का नेतृत्व करना मेरे लिए सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत 2047′ की रणनीति में मुख्य भूमिका निभाने के इच्छुक हैं। आईआरएफसी की बाजार में मजबूत स्थिति को लेकर दुबे ने कहा, मैं ऐसे संगठन का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा हूँ जिसकी शुद्ध संपत्ति ₹50,755 करोड़ है और 51 लाख से अधिक शेयरधारकों काविश्वास इसे प्राप्त है, जो भारत की किसी भी कंपनी में सबसे अधिक है। र दो लाख करोड़ से अधिक के बाजार पूंजीकरण के साथ, IRFC देश की शीर्ष सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) और कंपनियों में शामिल है।
आईआरएफसी की स्थापना 1986 में की गई थी। कंपनी भारतीय रेलवे की अतिरिक्त बजटीय संसाधन (ईबीआर) आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से धन जुटाता है। नए सीएमडी के रूप में, मनोज कुमार दुबे वित्तीय प्रबंधन और रणनीतिक संचालन में व्यापक अनुभव लेकर आए हैं। कॉनकोर में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई परिवर्तनकारी पहल की, जिनमें कंपनी की उच्च वृद्धि और भारतीय रेलवे के साथ लंबे समय से चल रहे मुद्दों का समाधान शामिल था, जिससे शेयरधारकों की संख्या 55,000 से बढ़ कर लगभग 3,00,000 हो गई।
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दुबे हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने आईआईटी-आईएसएम, धनबाद से एमबीए किया है, जहां उन्होंने अपने बैच में शीर्ष स्थान प्राप्त कर सिल्वर मेडल जीता। भारतीय रेलवे में अपनी सेवा के दौरान, उन्होंने ई-टेंडरिंग, ई-नीलामी प्रणाली और वेतन एवं पेंशन प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण जैसे कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिनके लिए उन्हें 2011 में रेल मंत्री द्वारा नेशनल अवार्ड फॉर आउटस्टैंडिंग सर्विस’ से सम्मानित किया गया था।
अपने नए पद पर, मनोज कुमार दुबे आईआरएफसी की विकास दर को और मजबूत करने का इरादा रखते हैं। उन्होंने कहा कि आईआरएफसी अपने ऋण पोर्टफोलियो का विस्तार करने और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों के साथ सह-ऋण के अवसरों की तलाश कर रहा है। हम वैश्विक रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग संगठन बनने की दिशा में काम कर रहे हैं, साथ ही पीएम गति शक्ति कार्यक्रम के साथ अपनी योजनाओं को संरेखित कर आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन कर रहे हैं। वित्त क्षेत्र के अलावा दुबे का योगदान सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाओं में भी रहा है. जिनमें अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ लोकोमोटिव फैक्ट्रियों की स्थापना शामिल है। उन्हें टैरिफ संरचना और मेगा परियोजनाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय बोली लगाने में व्यापक अनुभव है, जिससे उन्हें इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में ख्याति प्राप्त हुई है।
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नेहा गुप्ता की रिपोर्ट