डिजिटल डेस्क: Ayodhya में भाजपा ने मिल्कीपुर से चंद्रभान पासवान को बनाया प्रत्याशी। उत्तर प्रदेश में गत लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को किरकिरी कराने वाली हार का सामना करना पड़ा था, अब उसी Ayodhya के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा खासकर CM Yogi आदित्यनाथ के लिए प्रतिष्ठा का सवाल माना जा रहा है।
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इस सीट से भाजपा ने होने वाले उपचुनाव के लिए मकर संक्रांति के पर्व पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा ने यहां से चंद्रभान पासवान को प्रत्याशी बनाया है। बताया जा रहा है कि CM Yogi के मिल्कीपुर में सक्रिय होने के बाद से ही चंद्रभान क्षेत्र में सक्रिय हैं।
भाजपाई चंद्रभान का सीधा मुकाबला सपाई अजीत प्रसाद से
यानी की मकर संक्रांति के पर्व पर यूपी के Ayodhya में मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भिड़ने वाले सियासी योद्धाओं का ऐलान हो चुका है। मिल्कीपुर में अब भाजपा के चंद्रभान का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी उम्मीदवार अजीत प्रसाद से होगा। दोनों ही प्रत्याशी पासी बिरादरी से आते हैं।
यहां पर 17 जनवरी से नामांकन शुरू होगा। यहां 5 फरवरी को वोटिंग और 8 फरवरी को नतीजा आएगा। यहां से बसपा ने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। बसपा ने इस सीट पर चुनाव न लड़ने का पहले ही ऐलान कर दिया था। कांग्रेस और बसपा के इस चुनाव में सीधे तौर पर न आने से भाजपा और सपा के उम्मीदवार में सीधी टक्कर होगी।
अब देखना यह होगा कि जनता किसे अपना नेता चुनती है। मिल्कीपुर में भाजपा की तरफ से CM Yogi आदित्यनाथ और सपा की तरफ से अखिलेश यादव खुद चुनावी कमान संभाले हुए हैं।

भाजपा प्रत्याशी चंद्रभान के पिता हैं के गांव के प्रधान और पत्नी जिला पंचायत की मेंबर
चंद्रभान पासवान राजनीति के ककहरा सीखने वाले नौसिखियों में से नहीं हैं। वह फैजाबाद और अयोध्या की जमीनी सियासत में भाजपाई धुरंधर भी माने जाते हैं। बताया जा रहा है कि युवा चेहरा होने की वजह से भाजपा ने चंद्रभान को मौका दिया है। चंद्रभानु पासी समाज से आते हैं।
भाजपा प्रत्याशी चंद्रभान पासवान पेशे से वकील हैं।वह भाजपा की जिला इकाई में कार्य समिति के भी सदस्य हैं। उनकी पत्नी रुदौली से दो बार से जिला पंचायत सदस्य हैं। उनके पिता बाबा राम लखन दास ग्राम प्रधान है। चंद्रभानु मुख्य तौर पर व्यवसायी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। रुदौली से लेकर सूरत तक साड़ी व्यापार का कारोबार भी है। वह पिछले कुछ समय से मिल्कीपुर विधानसभा में लगातार सक्रिय रहे हैं।
Ayodhya की मिल्कीपुर उपचुनाव सत्तारूढ़ में भाजपा और प्रमुख प्रतिपक्षी सपा की प्रतिष्ठा दांव पर
Ayodhya की मिल्कीपुर सीट भाजपा और समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है। भाजपा Ayodhya में हुए नुकसान की भरपाई करने की चुनौती का सामना कर रही है और उसने योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में शीर्ष नेताओं को प्रचार में उतारने की तैयारी की है। मंत्री सूर्य प्रताप साही की अगुवाई में 6 मंत्रियों को लगाया है।

इनमें जल संसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सहकारिता राज्यमंत्री जेपीएस राठौड़, आयुष मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह और सतीश शर्मा शामिल हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी प्रचार अभियान में सक्रिय रूप से हिस्सा लेंगे। दूसरी ओर, मिल्कीपुर में सपा के उपचुनाव में घोषित प्रत्याशी अजीत सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं।
बता दें कि वर्ष 2022 में मिल्कीपुर से चुनाव जीतकर यूपी विधानसभा पहुंचने वाले अवधेश प्रसाद अब सपा की ही टिकट पर Ayodhya सीट से लोकसभा सांसद हैं। बीते साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश को फैजाबाद सीट से जीत मिली और फैजाबाद के अधीन ही Ayodhya की सीट है।
उसी जीत के बाद अवधेश प्रसाद ष्ट्रीय राजनीति में सुर्खियों में रहे। उनकी वजह से रिक्त हुई इस सीट पर सपा ने अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। अजीत पहले अमेठी की एक सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें उस वक्त जीत नहीं मिली थी।

भाजपा में मिल्कीपुर उपचुनाव का टिकट पाने में चंद्रभान के सामने कटा गोरखनाथ बाबा का पत्ता
भाजपा में मिल्कीपुर उपचुनाव का टिकट पाने के लिए संगठन के अंदर कई दावेदार दौड़ में लगे थे। तमाम जोड़तोड़ भी हुए लेकिन भाजपा के सियासी रणनीतिकारों ने जमीनी हकीकत वाली डिटेल फीडबैक के आधार पर दिखावे वाले सिफारिशों को दरकिनार कर दिया। इसी क्रम में कांटे के दावेदार रहे भाजपा के गोरखनाथ बाबा का पत्ता कटा तो वह तनिक मायूस भी दिखे हैं।
बताया जा रहा है कि बाबा गोरखनाथ मिल्कीपुर सीट से रेस में सबसे आगे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। बता दें कि बाबा गोरखनाथ इस सीट से विधायक भी रह चुके हैं। साल 2022 में गोरखनाथ यहां से सिर्फ 13 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। मिल्कीपुर सीट पर अक्टूबर 2024 में ही विधानसभा के चुनाव हो जाते, लेकिन गोरखनाथ की एक याचिका की वजह से ही उस वक्त चुनाव संपन्न नहीं हो पाया।