रांची: सरायकेला विधानसभा क्षेत्र इस बार विशेष चर्चा में है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने से राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। चंपई सोरेन, जिन्हें कोल्हान टाइगर के नाम से जाना जाता है, अब जेएमएम के लिए चुनौती बन गए हैं।
चंपई सोरेन का भाजपा में जाना न केवल सरायकेला, बल्कि पूरे कोल्हान क्षेत्र की राजनीति पर गहरा प्रभाव डालेगा। उनकी लगातार क्षेत्र दौरे और रैलियों में बढ़ती भीड़ ने उनकी लोकप्रियता को दर्शाया है। हालांकि, अब यह सवाल उठता है कि क्या यह भीड़ वोट में बदल पाएगी।
भाजपा ने कोल्हान में अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिससे स्पष्ट है कि चंपई सोरेन की उपस्थिति भाजपा के लिए एक बड़ा अवसर बन गई है। 2024 के विधानसभा चुनाव में उनके प्रभाव का आकलन करना महत्वपूर्ण होगा। चंपई सोरेन का कद और उनके समर्थकों की संख्या को देखते हुए, भाजपा को निश्चित रूप से इस चुनाव में फायदा हो सकता है।
हालांकि, जेएमएम की ओर से प्रत्याशी की घोषणा के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि चंपई सोरेन की लोकप्रियता और भाजपा की चुनावी रणनीति चुनाव परिणामों पर क्या असर डालती है। पिछली बार भाजपा ने कोल्हान में एक भी सीट नहीं जीती थी, लेकिन इस बार समीकरण बदल सकते हैं।
सोरेन का प्रभाव और भाजपा का बढ़ता आधार इस चुनाव को बेहद महत्वपूर्ण बना रहे हैं। कोल्हान क्षेत्र में चुनावी रणभूमि में कौन किस पर भारी पड़ेगा, यह देखने की बात होगी।