New Delhi : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सहारा इंडिया के करोड़ों निवेशकों और अभिकर्ताओं के लंबे समय से लंबित भुगतान का मुद्दा जोरदार तरीके से उठा। हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल ने इस गंभीर समस्या को संसद के पटल पर मुखरता से उठाते हुए सरकार से इस दिशा में शीघ्र, पारदर्शी और प्रभावी कार्रवाई की मांग की।
Breaking : भारी मानसिक और आर्थिक पीड़ा झेल रहे निवेशक
सांसद जायसवाल ने कहा कि देश के करोड़ों गरीब, मजदूर, किसान और निम्न आयवर्ग के लोग वर्षों पहले सहारा इंडिया में अपनी मेहनत की कमाई यह सोचकर निवेश किए थे कि भविष्य में वह राशि उनके बच्चों की शिक्षा, शादी या घर बनाने जैसे सपनों को पूरा करने में सहायक होगी। लेकिन लंबे समय से भुगतान लंबित रहने के कारण वे भारी मानसिक और आर्थिक पीड़ा झेल रहे हैं।
उन्होंने सरकार द्वारा सहारा इंडिया के धन को जब्त करने की दिशा में उठाए गए कदम की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जब तक इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा और भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक निवेशकों को राहत नहीं मिल पाएगी।
Breaking : न तो कोई स्पष्ट सूचना मिल रही है और न ही समाधान
सांसद जायसवाल ने सदन में विशेष रूप से उन लाखों अभिकर्ताओं का भी जिक्र किया, जो निवेशकों और सहारा समूह के बीच सेतु की भूमिका निभाते थे। आज वे स्वयं लोगों के आक्रोश और प्रश्नों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभिकर्ताओं को न तो कोई स्पष्ट सूचना मिल रही है और न ही समाधान, जिससे उनकी सामाजिक साख और मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ा है।
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह सहारा इंडिया के भुगतान की प्रक्रिया के लिए एक पारदर्शी, समयबद्ध और ऑनलाइन निगरानी प्रणाली विकसित करे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वास्तविक निवेशकों को बिना किसी देरी के राशि मिल सके।
Breaking : सांसद ने हेल्पलाइन और पोर्टल शुरू करने की दी सलाह
सांसद ने सुझाव दिया कि सरकार एक हेल्पलाइन और पोर्टल शुरू करे जहां निवेशक और अभिकर्ता अपनी जानकारी दर्ज कर सकें और भुगतान की स्थिति ट्रैक कर सकें। इससे न केवल भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी, बल्कि पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
मनीष जायसवाल के इस कदम की उनके संसदीय क्षेत्र हजारीबाग सहित पूरे राज्य और देश के सहारा पीड़ित निवेशकों में सराहना हो रही है। निवेशकों को उम्मीद है कि सरकार अब इस दिशा में ठोस कदम उठाकर उन्हें न्याय दिलाएगी और वर्षों पुरानी इस वित्तीय पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।
शशांक शेखर की रिपोर्ट–
Highlights