Desk : भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (बी आर गवई) ने बुधवार को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण किया। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद की शपथ दिलाई। उन्होंने सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया है।
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Breaking : 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे जस्टिस बी आर गवई
जस्टिस गवई की नियुक्ति की अधिसूचना कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को जारी की थी, जिसके तहत उनका कार्यकाल छह महीनों का होगा और वे 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। 16 अप्रैल को तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की थी।
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महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जन्मे जस्टिस गवई ने 1985 में कानून के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की शुरुआत की और 1987 में स्वतंत्र वकालत शुरू की। इस दौरान उन्होंने दिवंगत न्यायमूर्ति राजा एस. भोंसले जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ काम किया, जिससे उनके कानूनी कौशल को निखरने का अवसर मिला।
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दलित समुदाय से आने वाले दूसरे सीजेआई होंगे गवई
1992 से 1993 के बीच वे नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद 2003 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया और 2005 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि हुई।
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जस्टिस गवई के मुख्य न्यायाधीश बनने से न्यायपालिका में सामाजिक विविधता को भी बल मिला है, क्योंकि वे दलित समुदाय से आने वाले दूसरे CJI हैं। उनके अनुभव और न्यायप्रिय दृष्टिकोण से न्यायिक प्रणाली को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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