रांची: झारखंड में चल रहे सियासी भूचाल के थमने के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन क्या यह शांति तूफान के आने से पहले की है? झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में टूट की अटकलें धीमी पड़ती नजर आ रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने हाल ही में अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा की है, हालांकि उनकी पार्टी की रूपरेखा और इसमें शामिल होने वाले जेएमएम के विधायकों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
चंपई सोरेन की नई पार्टी के गठन की चर्चा के बीच यह ध्यान देने योग्य है कि चंपई ने अभी तक हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल से इस्तीफा नहीं दिया है और न ही हेमंत सोरेन ने उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया है। इसके साथ ही, जेएमएम के अन्य नेताओं की ओर से चंपई के खिलाफ कोई खास मुखरता नहीं देखी जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेबी के एसएस के युवा नेता जयराम महतो चंपई सोरेन का समर्थन कर सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जयराम महतो और उनकी पार्टी के कई नेताओं ने संघर्षपूर्ण चुनाव लड़ा था। चुनावी परिणाम भले ही साकारात्मक नहीं रहे, लेकिन उनके वोट प्रतिशत ने उन्हें राजनीतिक चर्चा में बनाए रखा। अब जयराम विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं और उनके चंपई सोरेन के साथ जुड़ने की संभावना चर्चा में है।
चंपई सोरेन की नई पार्टी :
इससे जुड़ी एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि चंपई सोरेन और जयराम महतो की साझेदारी झारखंडी भाषा खतियान समिति के नेताओं के साथ संभावित सहयोग को जन्म दे सकती है। अगर ऐसा होता है, तो यह झारखंड की राजनीति में एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर सकता है। हालांकि, चंपई और जयराम के विचारधारा में अंतर हो सकता है, जिसे देखते हुए इस गठबंधन की संभावना पर सवाल खड़े होते हैं।
बीजेपी में शामिल होने की चर्चा का सामना कर चुके चंपई सोरेन ने अब नई पार्टी या संगठन की दिशा में कदम बढ़ाया है। चुनावी समय को देखते हुए, नई पार्टी का गठन और चुनावी अभियान चलाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। झारखंड में स्थानीय मुद्दों पर आधारित राजनीतिक दलों की कमी नहीं रही है, लेकिन जेएमएम के मुकाबले कोई भी दल प्रभावी आधार बनाने में सफल नहीं हो सका है।
90 के दशक में जेएमएम से टूटकर बने जेएमएम आरडी और हाल में झारखंड विकास दल जैसे दलों का अनुभव चंपई सोरेन के सामने चुनौती पेश करता है। हालांकि, अगर जयराम महतो का समर्थन चंपई को मिलता है, तो यह झारखंड की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। आगामी दिनों में इस राजनीतिक हलचल का भविष्य स्पष्ट होगा, लेकिन चंपई सोरेन और जयराम महतो की संभावित साझेदारी झारखंड की राजनीति को और अधिक दिलचस्प बना सकती है।