रांचीः आरबीआई के फैसले पर 2000 के नोट को चलन से बाहर करने के निर्णय पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पहला बयान आया है. नोटबंदी के फैसले को लेकर उन्होंने कहा कि 2016 की कहानी को फिर से अपनाई है. भ्रष्टाचार के नाम पर सरकार के निर्णय पर कोई तारतम में नहीं. पिछले बार की नोटबंदी में लगभग 2 लाख से अधिक छोटे, मंझौल और मध्यवर्गीय जो उद्योग थे, वह देश छोड़कर चले गए. जो देश में सबसे ज्यादा रोजगार देते थे.
यह फैसला केंद्र सरकार का राजनीतिक निर्णय
2000 की नोट को लेकर देश का दुर्भाग्य है कि इसकी उम्र मात्र 6 से 7 साल रहा. यह फैसला विशुद्ध रूप से केंद्र सरकार का राजनीतिक निर्णय. केंद्र सरकार को लगता है, ऐसे निर्णय से वह अपने राजनीतिक वजूद बचा पाएंगे. देश की जनता अब ऐसी चीजों को अच्छी तरीके से समझ रही है. देश की जो उम्मीद केंद्र सरकार से थी वह चकनाचूर हो गई.
19 मई को 2000 रुपये के नोटबंदी किया था एलान
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार 19 मई को एक सर्कुलर जारी कर 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने साफ शब्दों में कहा कि ये नोटबंदी नहीं है. ये नोट लीगल टेंडर रहेंगे, सिर्फ इन्हें सर्कुलेशन से बाहर कर दिया जाएगा.