डिजीटल डेस्क : Confirm – देवेंद्र फडणवीस की तीसरी बार 5 दिसंबर को होगी ताजपोशी, कल होगी औपचारिक घोषणा। महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, अब यह Confirm हो चला है। देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुख्यमंत्री के लिए जारी ऊहापोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय नागपुर ने खत्म करने का स्पष्ट संकेत दिया है।
इसी के साथ Confirm हो गया है कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इसकी औपचारिकता बुधवार को महाराष्ट्र में भाजपा के विधायक दल की सुबह 10 बजे होने वाली बैठक में पूरी कर ली गई है। उसी बैठक में विधायक दल का नेता चुना जाना है जिसके लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम Confirm कर दिया गया है।
Confirm : संघ, पीएम मोदी और अमित शाह ने की संस्तुति
भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस के नाम को मुख्यमंत्री पद के लिए Confirm कर लिया है। कल यानी 4 दिसंबर को सुबह 10 बजे विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमन (केंद्रीय वित्त मंत्री) और विजय रूपाणी (गुजरात के मुख्यमंत्री) की मौजूदगी में उनके नाम पर मुहर लग जाएगी।
उस मीटिंग में देवेंद्र फडणवीस का तीसरी बार मुख्यमंत्री चुना जाना Confirm माना जा रहा है। संघ के अलावा खुद पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके नाम की संस्तुति दी है। इस तरह देवेंद्र फडणवीस की तीसरी बार ताजपोशी Confirm हो गई है।
देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर फडणवीस जनसंघ और भाजपा के नेता रहे। नागपुर के गंगाधर फडणवीस को नितिन गडकरी भी अपना राजनीतिक गुरु बताते रहे हैं। 22 साल की उम्र में फडणवीस ने नागपुर के पार्षद से राजनीति शुरूआत की। फिर 27 साल की आयु में युवा मेयर बनने का रिकॉर्ड बनाया।
वर्ष 1999 में दक्षिण पश्चिम नागपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और लगातार जीतते रहे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले गोपीनाथ मुंडे के आकस्मिक निधन के बाद नेतृत्व की चर्चा चल रही थी। नितिन गडकरी और एकनाथ खडसे जैसे दिग्गज कतार में थे। चुनाव के दौरान दिल्ली में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र का नारा काफी लोकप्रिय हुआ।
देखते ही देखते वह भाजपा के पोस्टर बॉय बन गए। अपनी बेदाग छवि और लोकप्रियता के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी उन्हें नेक्स्ट जेनरेशन के नेता के तौर पर चुना। उस पर वह खरे साबित हुए। उन्होंने गठबंधन की सरकार चलाकर अपने नेतृत्व क्षमता को भी साबित कर दिया।

Confirm : 5 साल बाद फिर महाराष्ट्र में चलेगी ‘पेशवा‘ की ‘पेशवाई‘…
यानी 5 साल के मुख्यमंत्री, फिर 72 घंटे के मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और फिर ढाई साल के उपमुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस का फिर से मुख्यमंत्री बनना Confirm कर दिया गया है। इसी के साथ अब 5 दिसंबर को वह तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी में जुट गए हैं। महाराष्ट्र में अब 5 साल के मराठा राज के बाद ‘पेशवा’ की ‘पेशवाई’ की चलेगी।
पिछले 10 साल तक भाजपा के संगठन और सरकार में अलग-अलग रोल में देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति की राजनीति के हीरो बने रहे। बता दें कि मराठा इतिहास में पंतप्रधान यानी ‘पेशवा’ अपने कूटनीति और युद्धनीति के लिए जाने जाते थे।
देवेंद्र फडणवीस के प्रशंसक भी उन्हें ‘पेशवा’ और देवा भाऊ ही कहते हैं। देवेंद्र फडणवीस पहले भी दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

Confirm : देवेंद्र फडणवीस को कभी ‘लॉलीपॉप‘ में नहीं मुख्यमंत्री की कुर्सी, जानिए किस्सा…
देवेंद्र फडणवीस को कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी ‘लॉलीपॉप’ की तरह नहीं मिली। हर बार उन्होंने बड़े चैलेंज को स्वीकार किया और हर दांव से पार्टी को जीत दिलाई। उनकी खासियत यह है कि उन्होंने युवा पार्षद के तौर पर राजनीति में एंट्री ली। इसलिए वह जनता और कार्यकर्ताओं के नब्ज को पहचानते हैं। देवेंद्र फडणवीस संघ के ‘लाडले’ हैं और शाह-मोदी के प्रिय भी।
काबिलियत के कारण ही वह मराठा राजनीति वाले राज्य में दूसरे ब्राह्मण सीएम बने। महाराष्ट्र के पहले ब्राह्मण सीएम शिवसेना के नेता मनोहर जोशी थे, मगर वह 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। वर्ष 2014 में पहली बार देवेंद्र फडणवीस जब मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्होंने एनसीपी-कांग्रेस के 15 साल के शासन का अंत किया था।
फडणवीस ने विधानसभा से सड़क तक कांग्रेस-एनसीपी शासन में हुए सिंचाई घोटाले को लेकर आवाज बुलंद की। मोदी लहर के बीच प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र ने चुनाव का ताना-बाना बुना और जीत हासिल की। दूसरी बार भी एंटी इम्कबेंसी को दरकिनार कर गठबंधन के साथ बहुमत हासिल किया, मगर सत्ता हासिल नहीं कर सके।
72 घंटे की सरकार बनाई, तब उन्होंने शरद पवार से बातचीत की थी। जब सरकार गिरी, तब फडणवीस ने विधानसभा में चेतावनी के लहजे में पवार और ठाकरे को एक शेर सुनाया था। ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं…लौटकर आऊंगा।’ ढाई साल बाद ही शिवसेना दो हिस्सों में टूट गई। एनसीपी के दो टुकड़े हो गए।
भाजपा को फडणवीस सत्ता में ले आए। 2024 में एक बार फिर अपनी रणनीति से एंटी इम्कबेंसी की हवा बदल दी। भाजपा सर्वाधिक 132 सीटें जीती ही, महायुति ने भी इतिहास रच दिया।

उद्धव ठाकरे के घमंड को तोड़ने वाले ‘पेशवा‘ के क्यों मुरीद हुए नरेंद्र मोदी, जानिए पूरी कहानी…
पूरा किस्सा काफी दिलचस्प है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में रैली के दौरान नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट पर बीजेपी के बड़े नेताओं से बातचीत कर रहे थे।
वहां नितिन गडकरी, गोपीनाथ मुंडे और देवेंद्र फडणवीस भी थे। नरेंद्र मोदी ने पूछा कि महाराष्ट्र में भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगी? गडकरी और मुंडे 17-18 के आंकड़े तक पहुंच सके। तब देवेंद्र फडणवीस ने 40 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की और वह सच साबित हुई।
फिर विधानसभा चुनाव के दौरान फडणवीस ने शिवसेना से अलग चुनाव लड़ने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को राजी किया। वह प्रयोग भी सफल हुआ। वर्ष 2014 में पहली बार शिवसेना से अलग प्रदेश में भाजपा अकेले चुनाव लड़ी और 125 सीटें हासिल कीं। उनकी इस रणनीति का भाजपा के बड़े नेताओं ने विरोध किया था, मगर फडणवीस की रणनीति कामयाब रही और भाजपा को महाराष्ट्र की पहली बार सत्ता मिली। यह कहानी महाराष्ट्र की सियासी गलियारों में सुनाई जाती है।
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने उद्धव ठाकरे को बातचीत का निमंत्रण दिया था। तब उद्धव ठाकरे ने संदेश दिया कि भाजपा नेता मातोश्री में आकर उनसे चर्चा करे। वह बात भाजपा को पसंद नहीं आई। तब देवेंद्र फडणवीस ने उसे चुनौती के तौर पर लिया। पहले भाजपा अकेले चुनाव लड़कर बड़ी पार्टी बनी।
फिर 44 साल की उम्र में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने, तब फडणवीस ने पहली बार शिवसेना को गठबंधन का जूनियर पार्टनर बनाया। पूरे 5 साल तक सरकार चलाई। दूसरी बार भाजपा और शिवसेना साथ में उतरी। महायुति को बहुमत मिला, मगर उद्धव ठाकरे सीएम पोस्ट पर अड़ गए।
देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के क्षणिक बागी अजित पवार के साथ 80 घंटे के लिए सरकार बनाई, मगर चल नहीं सकी। फडणवीस विपक्ष में बैठे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ढाई साल में ही दो हिस्सों में बंट गई। जब चुनाव में उतरे तो ठाकरे की सेना को 20 पर समेट दिया।
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