New Delhi- Dada Saheb Phalke Award- अपने दौर की बेजोड़ और हाइएस्ट पेड ऐक्ट्रेसेज में शुमार,
कटी पतंग की नायिका आशा पारेख के अभिनय को सलाम करते हुए उन्हे
भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के सम्मान से सम्मानित किये जाने की घोषणा हुई है.
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि
अपने दौर में युवा दिलों पर राज करने वाली दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को
2020 के दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
भारतीय सिनेमा जगत आज जिस मुकाम पर खड़ा है,
उसे उस मुकाम तक लाने में आशा पारेख का अहम योगदान रहा है.
आशा पारेख के नाम- Dada Saheb Phalke Award
यहां बता दें कि ‘दिल देके देखो’, ‘कटी पतंग’, ‘तीसरी मंजिल’ और ‘कारवां’ जैसी हिट फिल्में आशा पारेख के नाम रही है. उन्हें हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक ऐक्ट्रस में गिनती की जाती है. अब तक उनके द्वारा करीबन 95 फिल्मों में काम किया गया है और हर बार आशा दर्शकों की आशा पर खरी उतरी, उनके दिलों पर राज किया .
आशा पारेख ने अपना प्रोडक्शन कंपनी भी लॉन्च किया था, साथ ही कई टीवी शोज भी किये हैं. 1998 से 2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की अध्यक्ष रहीं.
पारेख ने 1990 के दशक के आखिर में टीवी धारावाहिक ‘कोरा कागज’ का निर्देशन भी किया था. एक निर्माता और निर्देशक उनके कामों की सराहना हुई.
बतौर बाल कलाकार हुई थी फिल्मी कैरियर की शुरुआत
यहां बतला दें कि आशा पारेख ने अपनी फिल्मी कैरियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के बतौर की थी.
तब फिल्म इंडस्ट्री में लोग उन्हें बेबी आशा पारेख नाम से जानते थे.
हिंदी सिनेमा के साथ ही उन्होंने पंजाबी, गुजराती और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है,
कहा जाता है कि फेमस फिल्म डायरेक्टर बिमल रॉय ने उन्हें इवेंट में डांस करते देखा था और
उन्हे अपनी फिल्म मां के लिए साइन कर लिया, उस समय बेबी आशा की उम्र महज 10 वर्ष थी.
इसके बाद बिमल ने इन्हे ‘बाप बेटी’ में मौका दिया, लेकिन फिल्म बुरी तरह पीट गयी.
आशा ने अपनी फिल्मी सफर के साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखा
और सोलह साल की उम्र बतौर लीड ऐक्ट्रेस की शुरुआत की.
सुबोध मुखर्जी और लेखक-निर्देशक नासिर हुसैन ने आशा को शम्मी कपूर के अपोजिट फिल्म ‘दिल देके देखो’ (1959) में साइन किया और इसी फिल्म से आशा स्टार बन गयी, उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा