जर्जर और ढहती दीवारों ने खोली सरकारी विद्यालयों की पोल

झरियाः जिले में सरकारी विद्यालयों का क्या हाल है. इस बात का अंदाजा इस तसवीर को देखकर लगाया जा सकता है. स्कूल की यह दीवार हल्की सी बारिश का बोझ तक नहीं झेल सकी और धड़धड़ाते हुए गिर गई. गनीमत रही कि कोई जानमाल की क्षति नहीं हुई. वरना बड़ा हादसा हो सकता था.

विद्यालय में 300 से ज्यादा छात्र-छात्रा पढ़ते

दरहशल झरिया अंचल के अंतर्गत चासनाला मोड़ स्थित राजकीय मध्य विद्यालय में गुरुवार की रात हुई बारिश में स्कूल के पुराने कमरे की दीवार व विद्यालय का गेट अचानक गिर पड़ा. गनीमत रही कि रात का वक्त था और कोई भी उस वक्त वहां मौजूद नहीं था. इस विद्यालय में लगभग 300 से ज्यादा छात्र-छात्रा पढ़ते है. स्कूल भवन की हालत काफी जर्जर हो चुकी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक क्लास रूम छोड़कर किसी भी क्लास रूम और बरामदे में शिक्षकों और बच्चों को सर छुपाने तक की जगह नहीं बची हुई है.

डर और खौफ के साए में पढ़ाई करने को मजबूर

विद्यालय की अधिकांश दीवारें जर्जर हो चुकी है और जो भी कमरे है उनमें बरसात पानी टपक रहा है. छत से टपकते पानी के बीच बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है. ऐसे में आप सोच सकते हैं कि जब शिक्षक ही अपने आप को सुरक्षित नहीं समझ रहे हैं, तो बच्चों की पढ़ाई क्या होती होगी. पुराने विद्यालय भवन की दीवार गिरने के बाद स्कूली बच्चों में डर का माहौल है. परिसर अब खंडहर में तब्दिल हो चुका है. क्लास सातवी की छात्रा मनिसा कुमारी ने बताया कि हमारे क्लास रूम की दीवारों से पानी टपकता है. किताबें खराब हो जाती है यही कारण है कि अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं आ रहे और जो आ भी रहे है उन्हें डर और ख़ौफ़ के साए में पढ़ाई करना पड़ रहा है.

कई बार जिला शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर की गई शिकायत

विद्यालय के प्रधानाध्यापक थेंघु दास ने बताया कि स्कूल भवन के लिए बार-बार जिला शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है. लेकिन विभाग से केवल आश्वासन ही मिलता है. ना ही कोई इंजीनियरिंग सर्वे करने आता है ना ही विभाग हमारे परेशानियों पर अमल कर रहा है. स्कूल के शिक्षक नरेश राम ने बताया कि पूरे विद्यालय की हालत खस्ता है दीवारें जर्जर है. हमारे पास बच्चो को बैठने तक कि व्यस्था नहीं है. साप्ताहिक टेस्ट चल रहा है. क्लासरूम की छत से पानी टपक रहा है, लेकिन मजबूरन बच्चे किसी प्रकार टेस्ट दे रहे है.

रिपोर्टः सचिन सिंह

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