Ranchi- एक आदिवासी मुख्यमंत्री-झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए सवाल दागा है कि अब चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों को बर्खास्त करना भी एटम बन गया. चुनाव आयोग ने अपने पहली रिपोर्ट में हेमंत सरकार के खिलाफ को कोई नाकारात्क टिप्पणी नहीं की, चुनाव आयोग की पहली अनुशंसा से जब राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं हुआ, तब भाजपा के द्वारा चुनाव आयोग से एक बार फिर से सेकेंड ओपिनियन की मांग की गयी है.
पहली ओपिनियन के बाद सेंकड ओपिनियन की मांग करना ही इस बात का पुख्ता सबूत है कि भाजपा किसी भी कीमत पर हेमंत सरकार को बर्खास्त करने पर आमदा है. एक लोकतांत्रिक सरकार को सिर्फ इस लिए परेशान की किया जा रहा है कि सरकार का मुखिया कोई आदिवासी है, भाजपा एक आदिवासी को मुख्यमंत्री के रुप में पचा नहीं पा रही है. यह कारण है कि आदिवासी मुख्यमंत्री को बलि लेने की तैयारी की जा रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग अपनी पहली फाइंडिंग्स को बदल सकता हैं.
एक आदिवासी मुख्यमंत्री को पचा नहीं पा रही है भाजपा
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि क्या राज्यपाल चुनाव आयोग को बाईपास कर कोई निर्णय लेने को स्वतंत्र है. यह राज्यपाल की कैसी भाषा हो जो कहते हैं कि झारखंड में एटम बम फटने जा रहा है. यह भाषा कोई किसी भी राज्यपाल को नहीं हो सकता, इस तरह की भाषा की इस्तेमाल सिर्फ कोई राजनीतिक कार्यकर्ता ही कर सकता है.
पीएम के कार्यक्रम के लिए गुजरात हादसे के चार दिन बाद राजकीय शोक की घोषणा
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा का चरित्र का पता इस बात से मिलता है कि
गुजरात हादसे के बाद चार दिन राजकीय शोक की घोषणा सिर्फ इसलिए नहीं की गयी,
ताकि पीएम अपना प्रोग्राम कर सकें.
जमीन हमारी, ताकत हमारी और फुटानी तुम्हारी नहीं चलेगी
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि झामुमो किसी स्थिति में डरने वाली नहीं है.
चुनाव आयोग अब कोई स्वतंत्र संस्था नहीं रह गया.
हेमंत सोरेन के साथ अब तक का सबसे बड़ा जनादेश है.
अब सड़क के सदन तक झामुमो के कार्यकर्ता संघर्ष करेंगे.
अब झामुमो अपने पुराने तेवर में दिखेगी.
हम बताएंगे कि उन लोगों ने गलत नंबर डायल कर दिया है.
विधि विशेषज्ञों से सलाह कर मुख्यमंत्री निर्णय लेंगे.
यूपीए विधायक दल की बैठक में निर्णय के बाद कल के जुटान को लेकर निर्णय होगा.
फिलहाल जेएमएम के कार्यकर्ताओं को धैर्य रखने को कहा गया है.
अरगोड़ा थाना क्षेत्र में नाबालिक के साथ बर्बरता
पिछले 20 सालों से कोई काम नहीं हुआ- हेमंत सोरेन