एक करोड़ तक के उपभोक्ता मामलों की सुनवाई, विवाद निवारण न होने पर सजा भी सुनाएगी आयोग
बोकारो : 30 माह के लंबे अंतराल के बाद जयप्रकाश नारायण पांडे ने सोमवार को जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया है. जयप्रकाश नारायण पांडे प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवघर के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार विजिलेंस के पद पर काम कर चुके हैं. इससे पहले वे बोकारो व्यवहार न्यायालय में वर्ष 2001 से 5 तक एसडीजेएम, सीजेएम व अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर काम कर चुके हैं.
आयोग में अध्यक्ष का पद रिक्त होने की वजह से पिछले 30 माह से उपभोक्ता मामलों की सुनवाई नहीं हो रही थी. लगभग एक महीने पहले आयोग के पुरुष सदस्य के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी भवानी प्रसाद लाल दास ने पदभार ग्रहण किया था. महिला सदस्य के रूप में अधिवक्ता बेबी कुमारी ने पदभार लिया था.
एक करोड़ तक के मामले
पदभार ग्रहण के बाद आयोग के अध्यक्ष श्री पांडे ने कहा कि अब जिला उपभोक्ता फोरम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में परिवर्तित हो गया है. आयोग को फोरम की तुलना में काफी अधिक शक्ति दी गई है. पहले फोरम में अधिकतम 20 लाख रुपए तक के मामले की सुनवाई होती थी. अब आयोग में एक करोड रुपए तक के उपभोक्ता मामलों की सुनवाई होगी.
सजा सुनाएगी आयोग
आयोग के फैसले के बाद निर्धारित तिथि के अंदर अगर फैसले के अनुरूप उपभोक्ता को मुआवजा नहीं मिला, तो आयोग स्वयं संबंधित दुकानदार या संस्था के जिम्मेवार व्यक्ति को कम से कम एक माह या अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा सुना सकता है. आयोग के सजा के खिलाफ राज्य आयोग, राष्ट्रीय आयोग व सुप्रीम कोर्ट में ही गुहार लगाई जा सकेगी.
मध्यस्था सेल गठन
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग को मध्यस्थता के जरिए मामले का निष्पादन करने का भी अधिकार है. बहुत जल्द मध्यस्थता के लिए सेल का गठन किया जाएगा. उक्त सेल में सेवानिवृत्त न्यायिक पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता व सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे. मध्यस्थता सेल में शामिल अधिकारियों को पारिश्रमिक का भी भुगतान किया जाएगा.
रिपोर्ट : चुमन कुमार