कैमूर : पटना हाईकोर्ट में ट्रांसफार्मर ब्लास्ट में एक अधिवक्ता व मुवकिल की हुई मौत की घटना से मोहनिया अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय अभी तक सबक नहीं लिया है। बता दें कि इस घटना के बाद हाईकोर्ट यह निर्देश जारी कर दिया था कि बिहार के किसी भी न्यायालय परिसर में ट्रांसफार्मर के अगल-बगल या नीचे कोई भी अधिवक्ता बैठे हो तो उसे तुरंत खाली कराया जाए। इस घटना के करीब छह माह बीत जाने के बाद भी मोहनिया अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय के दर्जनों अधिवक्ता अपनी जान जोखिम में डाल कर हाई कोर्ट कि उस घटना को फिर से दोहराना चाहते हैं।
आपको बता दें कि मोहनिया अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर हाई वोल्टेज का ट्रांसफार्मर लगा हुवा है। उसके बगल में अधिवक्ताओं के बैठने का सेड बना है। लेकिन कोर्ट के एक अधिवक्ता के द्वारा खाली पड़े उस ट्रांसफार्मर के नीचे बिना किसी के इजाजत के अवैध रूप से लोहे के पाइप से अपना सेड लगा दिए। जबकि पहले से अधिवक्ताओं का सेड लोहे के पाइप और टीन के पतरे से बना है जिसमे ज्वाइंट कर दिए।
इस चिलचिलाती धूप में अगर कहीं ट्रांसफार्मर ब्लास्ट करता है या ट्रांसफार्मर से कोई चिंगारी की करंट निकलता है तो इस चपेट में दर्जनों अधिवक्ताओ को अपना जान गवाना पड़ सकता है। शायद हाई कोर्ट की उस घटना का पुनर्वित्त मोहानिया कोर्ट कराना चाहता है। जबकि इसी रास्ते से मोहनिया कोर्ट के सभी न्यायिक मजिस्ट्रेट हर रोज गुजरते हैं लेकिन किसी का ध्यान इस बड़ी घटना को आमंत्रित करते हुए ट्रांसफार्मर के तरफ नहीं जा रहे हैं।
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विवेक कुमार सिन्हा की रिपोर्ट