Ranchi-झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एके चौधरी की अदालत में फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले डीएसपी मधुसूदन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने की याचिका पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के बाद अदालत ने डीएसपी मधुसूदन को राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि प्राथी निचली अदालत में अपनी बातों रख सकते हैं.
बता दें कि मधुसूदन एसटीएफ में डीएसपी के पद पर तैनात थे. एसीबी वर्ष 2013 में उनके खिलाफ फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने का मामला दर्ज किया था. सुनवाई के दौरान मधुसूदन की ओर से दलील दी गयी कि उनका जन्म भले ही वैश्य जाति में हुआ हो लेकिन उनका पालन पोषण पासवान जाति द्वारा किया गया है. उन्हे पासवान जाति के द्वारा गोद लिया गया है और इसी आधार पर प्रमाण पत्र जारी किया गया है. लेकिन एसीबी के अधिवक्ता सूरज कुमार वर्मा की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि प्रार्थी का गोद लिए जाने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है. इन्हे अपना तर्क निचली अदालत में रखनी चाहिए. इसके बाद अदालत ने डीएसपी की याचिका को खारिज कर दिया.
बता दें कि यह मामला वर्ष 2013 में अखबारों की सुर्खियां बना करता था.