डिजिटल डेस्क : नेपाल में आए भूकंप से भारत की सीमावर्ती इलाकों और तिब्बत में भी कांपी धरती। नेपाल में शुक्रवार तड़के पौ फटने के काफी पहले ही धरती के अंदर भूंकप के तेज झटके लगे। उसके असर बिहार समेत भारत की सीमावर्ती इलाकों के साथ तिब्बत में भी धरती कांपी।
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इस भूकंप के झटके पूरे हिमालय क्षेत्र में महसूस किए गए। इस भूकंप के झटके दो बार महसूस किए गए। पहली बार काठमांडु के पास तो दूसरी बार भूकंप बिहार बॉर्डर के पास आया।
इससे लोग दहशत में आ गए। जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे तभी शुक्रवार तड़के पड़ोसी देश नेपाल में भूकंप के तेज झटके लगे तो लोग भयाक्रांत हो गए और घरों से बाहर की ओर भागे।
सुबह-सुबह आए झटकों के कारण नेपाल के कई इलाकों, विशेषकर पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में लोगों ने भूकंप महसूस किया।
नेपाल के सिंधुपाल चौक में था भूकंप का केंद्र
NCS (नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी) के मुताबिक, नेपाल में शुक्रवार तड़के रिक्टर पैमाने पर 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इस भूकंप का केंद्र हिमालयी राष्ट्र नेपाल के मध्य क्षेत्र में सिंधुपालचौक जिले में था।
इस भूकंप का केंद्र धरती से 10 किलोमीटर की गहराई में रहा। NCS ने बताया कि नेपाल में आए इस भूकंप का केंद्र नेपाल के सिंधुपाल चौक जिले के भैरवकुंड में था। वह यह भूकंप शुक्रवार तड़के लगभग 2.51 बजे (स्थानीय समय) पर आया था।
शुक्रवार तड़के करीब 2.36 बजे आए भूकंप की तीव्रता जनजीवन को प्रभावित करने वाली थी। बता दें कि 6.1 तीव्रता का भूकंप शक्तिशाली माना जाता है और इससे काफी क्षति हो सकती है। इस दौरान इमारतों में भी दरार पड़ सकती है और जान-माल का भी भारी नुकसान होने का अंदेशा रहता है।

इतनी तीव्रता वाले भूकंप में घर के अंदर की चीजें हिलने लगती हैं और खड़खड़ाहट की आवाज होती है। नेपाल के विनाशकारी भूकंपों के इतिहास को देखते हुए, अधिकारियों ने निवासियों को संभावित झटकों के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है।
इतनी तीव्रता वाले भूकंप के झटकों से पर्वतीय देश नेपाल में कई बार जानमान के नुकसान हो चुके हैं। इसी कारण लोगों में ज्यादा दहशत का माहौल बना हुआ है। बहरहाल, सरकार और प्रशासन की ओर से सभी सतर्कतामूलक कदम उठाए जा रहे हैं एवं नागरिकों को सचेत रहने के लिए कहा जा रहा है।

एक दिन पहले ही असम में लगे थे भूकंप के झटके…
नेपाल में शुक्रवार तड़के आए भूकंप से एक दिन पहले बीते गुरूवार के तड़के भारत के असम में भूकंप के तेज झटकों से धरती कांप उठी थी। कंपन इतना तेज था कि लोग मारे डर के घरों में बाहर निकल भागे।
असम के मोरीगांव इलाके में गुरुवार की सुबह 2.25 बजे तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर उस भूकंप की तीव्रता 5 मापी गई। असम में गुरूवार को आए भूकंप के बारे में राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने कुछ जानकारियां साझा की थी।
उसके मुताबिक, असम के मोरीगांव इलाके में आए भूकंप की तीव्रता 5.0 मापी गई थी। वह भूकंप 16 किलोमीटर गहराई में आया था। इस साल के पहले माह से ही राजधानी दिल्ली से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप के झटके लगे हैं।
राजधानी दिल्ली में बीते 17 फरवरी को भयानक भूकंप ने दस्तक दी। राजधानी दिल्ली में तब लोग सुबह के अलार्म से नहीं बल्कि डर और दहशत से जागे थे क्योंकि तब उनका बेड तेजी से हिलने लगा, खिड़कियां और दरवाजे आवाज करने लगे।
राजधानी दिल्ली में बीते 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 36 मिनट पर यह झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर उस भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई थी। तब भूकंप के झटके कई सेकेंड तक महसूस किए गए। उस भूकंप का केंद्र दिल्ली के धौला कुआं में धरती से 5 किलोमीटर की गहराई में था।

बीते 22 फरवरी नेपाल, यूपी – उत्तराखंड में महसूस हुए थे झटके
इससे पहले बीते 22 फरवरी को भी भूकंप के झटकों महसूस किए गए थे। तब नेपाल के अलावा उत्तराखंड और यूपी में लखनऊ तक भूकंप का असर महसूस किया गया था।
उस झटके के बारे में लखनऊ के आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र ने पुष्ट किया था कि भूकंप का केंद्र लखनऊ से 310 किलोमीटर उत्तर उत्तर पूर्व की ओर था। उत्तराखंड में जोशीमठ के पास भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
उससे पहले भी पिछले ही महीने 24 जनवरी को असम में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तब रिक्टर स्केल पर 4.8 तीव्रता मापी गई थी, जोकि हल्का भूकंप था। उससे भी लोगों में दहशत फैल गई थी, लेकिन किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ था और ना ही कोई हताहत हुआ था।
NCS (नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी) के मुताबिक, तब पिछली बार शुक्रवार आधी रात को पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में झटके महसूस किए गए थे।
उस समय NCS ने बताया था कि भूकंप का केंद्र म्यांमार में पृथ्वी की सतह से 106 किमी की गहराई पर था। भूकंप के झटके पूर्वोत्तर राज्यों के कई हिस्सों में महसूस किए गए थे।