भागलपुर : बिहार में बाढ़ हर साल लाखों की आबादी को प्रभावित करती है। गंगा, कोसी और गंडक समेत सहायक नदियां लोगों के सपनों पर पानी फेर देती है। जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। बात भागलपुर जिले की कर लें तो यहां गंगा और कोसी नदी हर वर्ष कई गांवों को डुबोती है। फिलहाल गंगा नदी के साथ-साथ कोसी नदी उफनाई हुई है। कोसी नदी ने नवगछिया के मदरौनी को डुबोया है। हालात ऐसे है कि बच्चे और बकरियां समेत पूरा परिवार लेकर एक कमरे के झोपड़ी में रहने को विवश हैं।
इस गांव से कई घरों के लोग बाहर पलायन कर चुके हैं
आपको बता दें कि इस गांव से कई घरों के लोग बाहर पलायन कर चुके हैं। मदरौनी पंचायत हर वर्ष सरकारी उदासीनता के कारण डूबता है। अभी यहां दर्जनों घर जलमग्न है, हजारों आबादी प्रभावित है, लोग घरों से पलायन कर रहे हैं। आवागमन का जरिया निजी नाव है। इस क्षेत्र में कोसी नदी 70 से 75 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। लिहाजा लोग भयभीत हैं। यह पंचायत हर वर्ष इसीलिए डूब जाता है क्योंकि दो से तीन किलोमीटर का तटबंध सरकार नहीं बनवा पा रही है।
2015 में यहां तटबंध टूटा था लेकिन अब तक उसे दुरुस्त नहीं किया जा सका
दरअसल, 2015 में यहां तटबंध टूटा था लेकिन अब तक उसे दुरुस्त नहीं किया जा सका है। जिसके कारण कोसी नदी हर वर्ष पंचायत में प्रवेश करती है और इससे हजारों की आबादी प्रभावित होती है। साथ ही साथ करोड़ों का नुकसान होता है। बिहार सरकार भी रिलीफ को लेकर करोड़ों खर्च करती है लेकिन 20-25 करोड़ रुपए खर्च कर एक बार में तटबंध नहीं दुरुस्त किया जा सका है।
दानापुर में गंगा का जलस्तर बढ़ा, दियारा के लोग कर रहे हैं पलायन
दानापुर में गंगा का जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। दियारा के लोग पलायन कर रहे हैं। पानी से पूरी पंचायत जलमग्न है। दियारावासियों ने बताया कि इस बार काफी पानी का स्तर बढ़ चुका है। वहां रहने लायक भी नहीं है। हमलोग उस पार से इस पार बाढ़ रहत में आए हैं। उस पार में कोई सुविधा नहीं है। उस पार में सरकारी अस्पताल डूब चूका है।

नाव वाले 15 सौ अधिक किराया ले रहे हैं – लोग
वहीं लोगो ने बताया कि नाव वाले 15 सौ अधिक किराया ले रहे हैं। वहीं एक बच्चे को सांप काट लिया, जिसकी मौत भी हो गईं। इस संबंध में अंचलाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि बाढ़ पीड़ित के लिए सरकार की ओर सुविधा प्रदान की जा रही है, खाने की व्यवस्था भी है। साथ में जानवरों के लिए चारा की व्यवस्था भी की गई है। हर पचांयत में दो सरकारी नाव की व्यवस्था की गई है।
लगातार गंगा का जलस्तर बढ़ने पर लोगों में मचा हाहाकार, तटीय क्षेत्र के लोगों का घर हो सकता है जलमग्न
बक्सर जिले में गंगा का जलस्तर खतरे के लाल निशान को पार कर चुकी है। जिससे शहर के सभी 32 घाट जलमग्न हो गए हैं और घाट के किनारे रहने वाले लोग दहशत में पल-पल जी रहे हैं। कब उनका घर गंगा के गोद में समा ना जाए। रामरेखा घाट सहित हर घाट के किनारे गंगा का पानी अब तटवर्ती घरों के करीब पहुंच गया है। जिससे तटवर्ती इलाके में संकट गहराने लगा है।

समाजसेवी लोग बाढ़ पीड़ितों के मदद में आगे आ गए हैं
आपको बता दें कि शिवपुरी मठिया मोड़ के समीप मृत नहर व आसपास तक पानी का दबाव बढ़ गया है। जिसको देखते हुए समाजसेवी लोग बाढ़ पीड़ितों के मदद में आगे आ गए हैं और प्रत्येक बाढ़ पीड़ितों को खाने-पीने का सामान मुहैया करा रहे हैं। वहीं, सहायक नदियों के साथ नहरों का रूप विकराल हो गया है। बक्सर-कोईलवर तटबंध के कई जगहों पर पानी का दबाव बढ़ने लगा है। जिससे प्रभावित क्षेत्र के लोगों को जानमाल की चिंता सताने लगी है।
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राजीव रंजन, पृथ्वी कुमार और धीरज कुमार की रिपोर्ट
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