रांची: झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम लगातार बदलते जा रहे हैं . जेएमएम में नेतृत्व की लड़ाई चरम पर पहुंच चुकी है.
सीता सोरेन (Sita Soren) के इस्ताफे के बाद उनका अलग कदम क्या होगा इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है, इस्तीफे को लेकर सीता सोरेन ने जो पत्र जारी किया है उसमें पार्टी के साथ साथ परिवार को भी त्यागने की बाद कही है.
सीता सोरेन (Sita Soren) की यह नाराजगी हाल फिलहाल में सामने नहीं आई है वो लंबे समय से पार्टी के साथ साथ परिवार से भी नाराज चल रही थी .
चंपाई सोरेन की सरकार बनने के बाद उन्हें यह उम्मीद थी कि पार्टी और सरकार में उनका कद बढ़ेगा. लेकिन न ही पार्टी में और न ही सरकार में उनका कोई वरीयता दी गई.
मंत्री पद मिलने की उम्मीद में उन्होंने चंपाई सरकार का समर्थन तो किया लेकिन उन्हें इसके बावजूद मंत्री पद नहीं मिला. कुछ दिनों पहले जब सीएम चंपई ने यह बयान दिया था कि जेएमएम लोकसभा चुनाव होटवार जेल में बंद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ेगी तो सीता सोरेन एक बार फिर अपने को उपेक्षित करने लगी.
पार्टी सूत्र पहले भी कई दफा यह बात बता चुके हैं कि सीता सोरेन कभी भा कोई बड़ा कदम उठा सकती हैं सीता सोरेन अभी केवल पार्टी के सदस्यता के साथ परिवार को भी त्यागने की बात कही है.
लेकिन उन्होंने अभी तक विधायिकी से इस्तीफा नहीं दिया है. इस परिस्थिति में जेएमएमसीता सीता सोरेन (Sita Soren) के इस्तीफे को किस प्रकार से लेती है यह देखने वाली बात होगी.
वहीं इस मामले में बीजेपी की ओर से कोई बयान नहीं आया है. बीजेपी की ओर से इस मामले में केवल इतना ही कहा गया है कि बीजेपी अभी हर परिस्थिति पर नजर बनाए हुए है,जेएमएम का यह अंदरुनी मामला है.
इस मामले में बीजेपी सूत्रों का कहना है कि जब तक सीता सोरेन विधायिकी से इस्तीफा नहीं देती है तब तक बीजेपी इस मामले में कुछ भी नहीं करेगी. अगर सीता सोरेन (Sita Soren) विधायिकी से इस्तीफा देती है और बीजेपी से संपर्क करती है तो इस मामले में आगे कुछ भी कहा जा सकता है.
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